करे साधुआ खेतवा ना बोवाई ?
Submitted by Aksh on 7 April, 2015 - 23:29है अपना हिन्दुस्तान कहाँ ? यह बसा हमारे गाँवों में ?
स्वर्ग से गाँव ?
शुद्ध ताज़ी हवा बहती है जहां.
गाँव के भोले भाले सीधे सादे लोग.
दूध दही की नदियां बहती हैं गाँवों में.
बेचारा किसान.
जी तोड़ .......हाड़ तोड़ मेहनत करके भी दाने दाने को मोहताज .....बेचारा किसान.
ये कुछ पसंदीदा डायलोग हैं हमारे लोगों के. यही लिखते पढ़ते देखते सुनते आये हैं हम लोग ........
अब मुझसे सुन लो ......
अब ना रहता हिन्दुस्तान गाँवों में .......भैया हिन्दुस्तान चला गया शहर के slums में ...... अब तो जो नकारे निकम्मे बेकार बौड़म पड़े हैं गाँव में.
मेथी की करें बिजाई, हरी काटकर बेचें या फसल पका करें कमाई
Submitted by Aksh on 6 April, 2015 - 23:42मेथी एक दलहनी फसल है लेकिन इसकी पत्तियां सब्जी व चटनी के तौर पर भी खूब खाई जाती हैं। देसी दवाइयों और पशुओं को बादी आदि से बचाने के लिए भी मेथी का भरपूर इस्तेमाल होता है। वैसे तो बाजार में हरी मैथी की गुच्छियां अभी भी आई हुई हैं लेकिन इसी डिमांड हमेशा रहती है। हरियाणा में मेथी की बिजाई का समय 15 दिसंबर तक का है इसलिए जब तक इसकी हरी फसल आएगी तब तक बाजार की हाल फिलहाल की मेथी गायब हो चुकी होगी। तब इसकी हरी गुच्छियों के दाम भी अच्छे मिलेंगे और फसल पकाएंगे तो भी चांदी रहेगी। हरियाणा में मुख्य तौर पर मेथी की सिरसा, हिसार, भिवानी महेंद्रगढ़, रेवाड़ी, गुडग़ांव एवं रोहतक जिले के कुछ भागों में सीमित स
पत्तियों पर बोरॉन के प्रयोग से कद्दू वर्गीय फसलों के उत्पादन में वृद्धि
Submitted by Aksh on 6 April, 2015 - 00:09देश की विभिन्न मृदाओं और फसलों में बोरॉन की कमी देखी जा रही है जिससे फसलोत्पादन सीमित हो रहा है। पत्तियों पर बोरॉन के प्रयोग से कद्दू वर्गीय फसलों में बेल के विकास, फलों के आकार, संख्या और फसल में वृद्धि होती है। इससे पहले, झारखण्ड के रांची में खीरे (कुकुमिस सैटिवस एल.) की पत्तियों पर बोरिक अम्ल 25 पीपीएम के तीन छिड़काव के प्रभाव का अवलोकन किया गया। ऐसा पाया गया कि जिन बेलों पर बोरिक अम्ल का छिड़काव किया गया था उनमें फलों की वृद्धि 10.5 प्रति बेल से 12.2 हो गई साथ ही, फलों का औसत भार भी 368 ग्राम से बढ़कर 412 ग्राम हो गया। जिस क्षेत्र में बोरिक अम्ल का छिड़काव नहीं किया गया था उसकी उपज 48.6