बंजर हुई जमीन और घटी पैदावार बेबस किसान

सरकारी नीति में हरित खाद सब्सिडी सिस्टम को बढ़ावा देने की जरूरत है जो खेती को पारंपरिक प्राकृतिक पद्धति पर ले जाते हुए क्षरित, खस्ताहाल और बंजर हो चुकी जमीन की दशा सुधारे। केवल इतना ही नहीं बल्कि रासायनिक उर्वरकों के उत्पादन व प्रयोग का सीधा प्रभाव जलवायु परिवर्तन पर पड़ता है। इनके कारण ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन बढ़ रहा है। किसान नाइट्रोजन उर्वरक धड़ल्ले से इसलिए इस्तेमाल कर रहे हैं क्योंकि उस पर सरकारी छूट है और वह सस्ते दामों में उपलब्ध है। अगर सरकार हरित खाद पर यह छूट दे तो वे उसे इस्तेमाल करेंगे। 

किसानों के लिए वरदान थायो यूरिया जैव नियामक

uria tayo niyamak

कृषि में पानी की भूमिका के बारे में हम सभी अच्छी तरह से जानते हैं। किंतु बीते कुछ दशकों से जिस तरह से पानी की मांग में बढ़ोतरी और पानी के संसाधनों में कमी आई है उसे देखते हुए कृषि के सुखद भविष्य के बारे में विश्वासपूर्वक कुछ भी कह पाना कठिन है। साल दर साल मानसून का देरी से आना और निरंतर घटते भूजल ने किसानों और सरकार के समक्ष अनेक यक्ष प्रश्न खड़े कर दिए हैं। ऐसी विकट परिस्थितियों में कृषि विशेषज्ञों ने पानी की कमी से निपटने के लिए ‘थायो यूरिया जैव नियामक’ नामक एक ऐसी तकनीक ईजाद की है जिससे कृषि के लिए पानी की कमी संबंधी समस्या बीते कल की कहानी बनकर रह जाएगी। दूसरे शब्दों मे कहा जा सकता है क

बहुफसलीय खेती की जरुरत

multi crop

हरित क्रांति का अभिशाप झेल रहा पंजाब बहुफसलीय खेती की ओर मुड़ता दिखाई दे रहा है। कृषि वैज्ञानिकों का मानना है कि खेती में विविधता न केवल भूजल स्तर को बनाए रखने के लिए उपयोगी होगी, बल्कि फसलों की पैदावार में जो एकरुपता आ गई है, बल्कि फसलों की पैदावार में जो एकरुपता आ गई है उसे भी विविधता में बदला जा सकता है। हरित क्रांति के बाद प्रचलन में आई कृषि प्रणाली को बदलना इसलिए भी जरुरी हो गया है क्योंकि पंजाब कृशि विश्व विद्यालय की एक रिपोर्ट के मुताबिक पिछले 10 साल में अकेले पंजाब में 7000 से भी ज्यादा किसान आत्महत्या कर चुके हैं। इन बद्तर हालातों के मद्देनजर यह अच्छी बात रही कि पंजाब सरकार ने वैज्

बेमौसम बारिश से बर्बाद हो रही हैं फसलें, किसानों की आंखों से छलक रहा है दर्द

राजधानी सहित पूरे यूपी में बेमौसम बारिश ने किसानों की कमर तोड़कर रख दी है। एक बार फिर मौसम की करवट ने किसानों का दर्द दोगुना कर दिया है। किसानों की चौपट हो चुकी फसल का अभी तक सरकार उनको मुवावजा नहीं दे सकी है कि एक बार फिर यूपी में बारिश ने कहर बरपा दिया है। रविवार रात से लगातार हो रही बारिश ने किसानों के साथ-साथ सरकार के माथे पर भी चिंता की लकीर खींच दी है। मौसम विभाग के अनुसार, यूपी का पारा आठ डिग्री तक लुढ़क गया है।

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