सघन बागवानी- बढ़ती जनसंख्या के लिये आज की आवश्यकता

सघन बागवानी

भारत फल उत्पादन के क्षेत्र मे पूरे विश्व मे दूसरे स्थान पर है। फल उत्पादन के माध्यम से लोगो के स्वास्थ्य, समृद्धि तथा सामान्य जीवन मे खुशहाली लायी जा सकती है। हमारे देश मे फलो के उत्पादन के लिये विभिन्न प्रकार की जलवायु उपलब्ध है। भारत मे जनसंख्या वृद्धि के साथ फल उतपादन भी लगातार बढ़ रही है, लेकिन प्रति व्यक्ति फलो की उपलब्धता एवं उपयोग अन्य विकसित देशो की तुलना मे काफी कम है। हमारे यहां प्रति व्यक्ति फलो की उपलब्धता केवल 85 ग्राम है। कृषि मे बागवानी एक ऐसा क्षेत्र है जिसमे किसान अपनी भूमि से अधिक से अधिक आय प्राप्त कर सकते है। प्रति व्यक्ति फलो की उपलब्धता को बढ़ाने के लिये क्षेत्रफल को ब

केवल 60 दिनों में तैयार होगी लोबिया

आलू और गेहूं की फसल के बाद, धान से पहले के बीच की अवधि में किसान लोबिया की फसल उगा सकते हैं। वैज्ञानिकों ने समतल इलाकों में खेती के अनुकूल लोबिया की ऐसी किस्म विकसित की है, जो मात्र 60 दिन में तैयार हो जाती है।

जैविक कीटनाशक अपनाकर पानी प्रदूषण से बचाएं

हम जिस गाँव में रहते हैं वैसे ही लगभग एक लाख गाँव पूरे उत्तर प्रदेश में है जिनमें तेरह करोड़ से भी ज्यादा लोग रहते हैं और इनमें से दस करोड़ से ज्यादा लोगों का जीवन पूर्णत: खेती पर ही आधारित है। इनमें से अधिकांश किसान तथा खेतिहर मजदूर हैं हमारे सारे किसान मिलकर पूरे देश की आवश्यकताओं का एक बटे पाँचवाँ भाग तो खुद ही पूरा करते हैं। 

गेहूं की कटाई के बाद बचे अवशेषों को खेतों में न जलाये

गेहूं की कटाई के बाद बचे अवशेषों को खेतों में न जलाये

आधुनिक तकनीक का कृषि में समझदारी से उपयोग करना बहुत जरुरी है। जैसे मजदूरों की कमी के विकल्प के तौर पर आई कंबाइन मशीन वर्तमान में खेती के लिए घातक बनती जा रही है। किसानों द्वारा गेहूं की कटाई के बाद बची पराती को खेतों में जलाया जाता है। जिससे मृदा के पोषक तत्व नष्ट हो जाते है और धुएं से निकलती जहरीली गैसें पर्यावरण को प्रदूषित कर देती है।

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