ढैंचा की खेती बढ़ाये खेतों में पोषक तत्व

जमीन कि उर्वरक शक्ती को बंधने के लिये और उसका लाभ किसानो को पहुचाने के लिये कृषि विज्ञान केंद्र हरसंभव कोशिश करता है| उत्तर प्रदेश के चंदौली जिले में कृषी विज्ञान केंद्र ढैंचा (हरी खाद) की खेती को बढ़ावा देने के लिए किसानों से10 एकड़ में इसकी खेती करने का प्रयोग कर रहे है|

 

केंचुआ खाद से मिट्टी की उत्पादकता को बढ़ाया जा सकता है।

रासायनिक खादों के बुरे असर से निजात दिलाने के लिए  किसानों को केंचुए से बनी खाद(जेविक खाद ) का प्रयोग करना चाहिए !किसानों को जैविक खाद के बारे में उपयोगी जानकारी लेनी चाहिये क्योकि इससे रोजगार के नए मौके मुहैया होंगे। केंचुआ खाद समय की मांग है ! रासायनिक उर्वरकों की वजह से भूमि की उत्पादकता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है, लेकिन केंचुआ खाद के इस्तेमाल से मिट्टी की उत्पादकता को बढ़ाया जा सकता है।

किसानो के लिए लाभदायक साबित हो सकती है हरी खाद

जैविक खेती को बढ़ावा दिए जाने के लिए किसान कल्याण विभाग ने किसानों को हरी खाद का लाभ बताते हुए इसके उपयोग करने की सलाह दी है।
विभाग द्वारा किसानों को हरी खाद के उपयोग के संबंध में बताया गया है कि हरी खाद से भूमि की संरचना सुधरती है और उर्वरा शक्ति बढ़ती है। खेतों
से यदि हम अपने पोषण के लिये बहुत कुछ जुटा लेते हैं तो पौधे भी अपने लिये आवश्यक भोजन का प्रबंध अन्य पौधों की दम पर कर सकते हैं। इस
तरह के प्राकृतिक पोषण को हरी खाद की फसल कहते हैं।अगर सही ढंग से इसका प्रयोग किया जाये तो फसलो के उत्पादन में दोगुना बढ़ोतरी हो सकती है!

केंचुआ खाद से मिट्टी की उत्पादकता को बढ़ाया जा सकता है।

रासायनिक खादों के बुरे असर से निजात दिलाने के लिए  किसानों को केंचुए से बनी खाद(जेविक खाद ) का प्रयोग करना चाहिए !किसानों को जैविक खाद के बारे में उपयोगी जानकारी लेनी चाहिये क्योकि इससे रोजगार के नए मौके मुहैया होंगे। केंचुआ खाद समय की मांग है ! रासायनिक उर्वरकों की वजह से भूमि की उत्पादकता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है, लेकिन केंचुआ खाद के इस्तेमाल से मिट्टी की उत्पादकता को बढ़ाया जा सकता है।

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