आलू किसानों को राहत देने को मूड में केंद्र
उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल और मध्य प्रदेश के आलू किसानों की बिगड़ती हालत को देखते हुए केंद्र सरकार हरकत में आ गई है। भारी घाटे की चपेट में आए खून के आंसू रो रहे किसानों को राहत देने के लिए आलू निर्यात बढ़ाने और राज्यों को कारगर पहल करने को कहा गया है।
बंपर उत्पादन के चलते घरेलू बाजार में कीमतें लागत से बहुत नीचे हैं, जिससे आलू किसान भारी आर्थिक तंगी में हैं। निर्यात को प्रोत्साहित करने को कहा गया है। साथ ही अंतरराष्ट्रीय बाजार में आलू निर्यात की संभावनाएं तलाशने की बात भी की गई है। केंद्रीय कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह ने इस संबंध में अफसरों की बैठक कर उनसे आलू किसानों की समस्या का समाधान खोजने को कहा।
सिंह ने कहा कि इस बारे में राज्य सरकारों को पहल करनी चाहिए। केंद्र सरकार ने आम बजट में ही कृषि उपज के मूल्य घटने की दशा में राज्यों को हस्तक्षेप करने का प्रावधान किया है। इसके लिए बजट में 350 करोड़ रुपये का पुख्ता बंदोबस्त किया गया है।
कृषि मंत्रलय के एक अधिकारी ने बताया कि पड़ोसी मुल्कों में आलू की बहुत मांग नहीं होने से निर्यात की संभावना कम है। लिहाजा मंत्रलय जल्दी ही आलू उत्पादक राज्यों से इसके लिए प्राइस स्टैबलाइजेशन फंड (पीएसएफ) के उपयोग करने पर जोर देगा। राज्य एजेंसियां आलू खरीद कर स्टोर करें और बाद में बाजार में बेंच दें। मूल्य के अंतर की धनराशि का भुगतान केंद्र सरकार करेगी।
घरेलू बाजार में आलू की कीमतें धराशायी होने के मद्देनजर सरकार ने एहतियाती कदम उठाया है। लेकिन इसका असर अभी बाजार में नहीं दिख रहा है। आलू की कुल पैदावार 25 से 30 फीसद अधिक हुई है। बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि से रबी फसलों को भले ही भारी नुकसान हुआ है, लेकिन आलू की पैदावार में वृद्धि हुई है।
राष्ट्रीय बागवानी अनुसंधान विकास फाउंडेशन के जारी आंकड़े के मुताबिक चालू सीजन में आलू का निर्यात 2.5 लाख टन हो गया है, जबकि पिछले साल की इसी अवधि में 1.18 लाख टन निर्यात हुआ था। मूल्य के हिसाब से समीक्षा अवधि में आलू का निर्यात 595 करोड़ रुपये का हुआ, जबकि इसके पहले मात्र 140 करोड़ रुपये का आलू निर्यात हो सका था। वर्ष 2013-14 के दौरान कुल 1.66 लाख टन आलू निर्यात किया गया, जिससे 209 करोड़ रुपये की विदेशी मुद्रा प्राप्त हुई थी।
साभार जागरण