टमाटर, आलू की फसलों को विदेशी कीट से खतरा
‘पिन वर्म’ नामक एक विदेशी कीट के आक्रमण का खतरा उत्तर प्रदेश की टमाटर व आलू जैसी फसलों पर मंडरा रहा है। यह कीट कुछ ही समय में पूरी फसल चट करने की क्षमता रखता है। उत्तर प्रदेश कृषि विभाग को कीटों पर शोध करने वाली लखनऊ स्थित केंद्रीय संस्था केन्द्रीय एकीकृत नाशीजीव प्रबंधन केंद्र (सीआईपीएमसी) ने इस अमेरिकन कीट के प्रति आगाह किया जा चुका है। ”अभी इस कीट के उत्तर प्रदेश में पाए जाने की अधिकृत सूचना नहीं है किन्तु इसकी सम्भावना से इनकार भी नहीं किया जा सकता।” सीआईपीएमसी के प्रभारी डॉ उमेश कुमार ने बताया। उन्होंने जानकारी दी कि कुछ समय पहले ही कर्नाटक, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, गुजरात, आन्ध्र प्रदेश व तेलंगाना आदि प्रदेशों में टमाटर की फसल पर यह कीट पाया गया था।
‘पिन वर्म’ कीट की सुंडी पत्तियों, फूलों, शीर्ष कलिका, कच्चे एवं लाल टमाटर में छेद कर प्रवेश कर जाती है व अन्दर से खोखला कर देती है। यह कीट 10 मिमी के पतिंगा जैसा दिखता है और यह अपना अंडा ज्यादातर पत्तियों या पौधे के अन्य मुलायम भागों पर देता है। सीआईपीएमसी अपने स्तर पर भी टमाटर के खेतों में सर्वेक्षण करवा रहा है। यह कीट दक्षिण अमेरिका एवं अफ्रीका के अनेक स्थानों में अत्यंत हानिकारक साबित हुआ है। टमाटर के साथ-साथ यह उसी कुल के अन्य फसलों जैसे आलू, तम्बाकू, बैंगन, मिर्च आदि तथा खरपतवारों जैसे धतुरा, मकोय आदि को भी नुकसान पहुंचा सकता है।
भारत सरकार के वनस्पति संरक्षण संगरोध एवं संग्रह निदेशालय से जारी निर्देशों में बताए गए कीट के रोकथाम के उपाय
- फसल की सतत निगरानी रखें।
- एक हेक्टेयर में 4-5 फेरोमोन ट्रैप का इस्तेमाल करें।
- नीम आधारित जैविक दवाओं का छिड़काव करें।
- ब्लैक स्टिकी ट्रैप का निर्धारण करें।
- जरूरत पडऩे पर डेल्टा मेथ्रिन रसायन का छिड़कें।