बारिश और ओलावृष्टि से फसल तबाह
फाल्गुन-चैत्र में मानसून की तरह वेस्ट में बरस रहे बादलों और ओलावृष्टि ने फसलों पर कहर ढा दिया है। गेहूं, सरसों, आलू जैसी मुख्य फसलों के उत्पादन में औसतन 15 फीसदी से ज्यादा गिरावट की आशंका है। बहुत से किसानों की तो आधे से ज्यादा फसल ही बर्बाद हो गई है। मौसम विभाग ने अगले दो दिन और बारिश की संभावना बताई है। ऐसे में किसान बस भगवान भरोसे ही हैं। जिले में प्रशासन फसलों को हुए नुकसान का आकलन भी अब तक नहीं कर पाया है।
बिन मौसम बरसात और ओले बरसने का यह सिलसिला 25 फरवरी की रात में हुई भयंकर तूफान के साथ शुरू हुआ था। रविवार को फिर से बारिश शुरू हो गई। कई जगह ओले भी बरसे। इससे बिजनौर, मुजफ्फरनगर, शामली, बागपत और बुलंदशहर आदि के देहात क्षेत्रों में गेहूं की फसल लोटपोट हो गई। सरसों की फसल में तो औसतन 35-40 प्रतिशत तक नुकसान है। मटर, चना और सब्जियों की फसल को भी भारी नुकसान हुआ है।
आलू की खुदाई का काम अधर में है। बारिश की वजह से जमीन के अंदर मौजूद आलू के सड़ने का खतरा है। सरसों की फसल पकने की कगार पर है। सरसों की फलियां झड़ गई हैं। इस वक्त अगैते गेहूं की बालियों में दाना पड़ रहा है। फसल गिर जाने से बालियों में दाना हल्का हो जाएगा। गन्ने के पौधे की फसल तक गिर गई है। बारिश से गन्ने की कटाई भी थम गई है।
सहारनपुर मे कहर बरपा रही बरसात और अब हुई एकाएक ओलावृष्टि ने जिले में गेहूं, आलू, सरसों, आम और सब्जी की फसल को 50 से 70 प्रतिशत तक बर्बाद कर दिया है। इस नुकसान से गेहूं उत्पादन में भारी कमी और सब्जी दामो में एकाएक उछाल की आशंका जताई जा रही है।
मुजफ्फरनगर और शामली में शानिवार रात से हो रही बारिश और आंधी से जहां बिजली और यातायात व्यवस्था ध्वस्त हुई, वहीं गेहूं और सरसों की फसल गिर गई। रविवार सुबह भारी ओलावृष्टि से फसलों पर दाने को बहुत नुकसान हुआ है। कृषि विशेषज्ञ डा. पीके सिंह के अनुसार आंधी, बारिश और ओले से सरसों, आलू, मटर को ज्यादा नुकसान हुआ है। हवाओं के कारण गन्ना गिर गया है। जो गेहूं 25 दिसंबर से पहले बोया गया था उस पर प्रभाव पड़ा है। पछेती गेहूं की स्थिति अभी ठीक है।
बागपत मे तेज हवा और बारिश-ओलावृष्टि से जनपद में गेहूं की फसल को पचास फीसदी से ज्यादा का नुकसान हुआ है। किसानों का अनुमान है इससे 1.25 लाख मीट्रिक टन कम उत्पादन होना तय है। वहीं प्रशासन ने भी शासन को रिपोर्ट भेजी कि फसलों में 20 फीसदी से अधिक का नुकसान हुआ है।
कृषि विज्ञानी बोले, उत्पादन में भारी गिरावट
सरदार वल्लभ भाई पटेल कृषि विश्वविद्यालय के कृषि विज्ञानी डा. संदीप चौधरी कहते हैं कि इस बार पहले ही गेहूं की बुआई लेट हुई थी। अब बालियां निकलने और इनमें दाना पड़ने के वक्त पर फसल गिर गई है। इससे दाना ठीक से नहीं पड़ेगा। गेंहू की फसल में कुछ इलाकों में नुकसान 20 फीसदी से ज्यादा भी हो सकता है।
साभार: हिन्दुस्तान