सब्जियों से बेहतर आमदनी

आगामी दिनों में सब्जियों से बेहतर आमदनी पाने के लिए अभी से सब्जियों के उत्पादन की तैयारी की जा सकती है। 

भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (पूसा) में वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक व प्रवक्ता डा. जे.पी.एस. डबास की सलाह है कि बाहरी दिल्ली के शहरों के आसपास खेती कर रहे किसान सब्जी उत्पादन कर बेहतर आमदनी प्राप्त कर सकते हैं। इसके लिए किसानों को वैज्ञानिकों से सलाह लेकर उत्पादन शुरू कर देना चाहिए। 

इस मौसम में किसान  गाजर, सरसों, पालक, मूली, शलजम, बथुआ, मैथी की बुवाई मेड़ों पर कर सकते हैं। गाजर की उन्नत किस्में पूसा रुधिरा और पूसा केसर हैं। बीज दर 4.0 कि.ग्रा. प्रति एकड़ की दर से करें।

अदरक की खेती

अदरक की खेती

जलवायु की आवश्यकताएँ

अदरक गर्म और आर्द्र जलवायु में अच्छी तरह से बढ़ती है. मतलब इसके खेती समुद्र स्तर से ऊपर 1500 मीटर की ऊंचाई और आंशिक छाया में अच्छी तरह से पनपती है. लेकिन इसके सफल खेती के लिए इष्टतम ऊंचाई 300-900m है. मध्यम वर्षा बुवाई से rhizomes के अंकुर तक, और इसके सफल खेती के लिए बढ़ती अवधि में काफी भारी और अच्छी तरह से वितरित बारिश और कटाई से पहले शुष्क मौसम के साथ एक महीने के अवधि तक 28 ° -35 डिग्री सेल्सियस के तापमान इष्टतम आवश्यकताओं में से हैं. प्रारंभिक बुवाई rhizomes के बेहतर विकास और उच्च पैदावार में मदद करता है.

मिट्टी की आवश्यकताएँ

राजस्थान, हरियाणा और उत्तर प्रदेश राज्यों के किसान खराब गेंहू की न करें चिंता, सरकार खरीदेगी

अब राजस्थान, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के किसानों को खराब गेहूं की चिंता पालने की जरूरत नहीं है, क्योकि केन्द्र सरकार ने ऐलान किया है कि इन तीनों राज्यों के किसानों का खराब गेहूं सरकार द्वारा खरीद लिया जायेगा। गौरतलब है कि बेमौसम बारिश एवं ओलावृष्टि के कारण फसल बर्बादी के साथ ही क्विंटलों से गेहूं खराब हो गया है। ऐसी स्थिति में किसान चिंतित है। लेकिन केन्द्र सरकार ने किसानों से कहा है कि वह खराब गेहूं की भी खरीदी करेगी।

केंचुआ खाद से स्वस्थ होगी मिट्टी

रासायनिक उर्वरकों के अंधाधुंध प्रयोग से मिट्टी में हो रही तमाम तत्वों की कमी की पूर्ति केंचुआ खाद से करने की तैयारी की गई है। कृषि विभाग ने बानगी के तौर पर जनपद के कुछ गांवों में 195 किसानों को वर्मी पैड उपलब्ध कराकर केंचुआ खाद उत्पादन से जोड़ने की मुहिम शुरू की है। अधिकारियों ने कहा कि यह खाद न सिर्फ जमीन की उर्वरा शक्ति बढ़ाएगी बल्कि उत्पादन और अनाज की गुणवत्ता में भी बढ़ोतरी करेगी।

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