सब्जियों से बेहतर आमदनी
आगामी दिनों में सब्जियों से बेहतर आमदनी पाने के लिए अभी से सब्जियों के उत्पादन की तैयारी की जा सकती है।
भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (पूसा) में वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक व प्रवक्ता डा. जे.पी.एस. डबास की सलाह है कि बाहरी दिल्ली के शहरों के आसपास खेती कर रहे किसान सब्जी उत्पादन कर बेहतर आमदनी प्राप्त कर सकते हैं। इसके लिए किसानों को वैज्ञानिकों से सलाह लेकर उत्पादन शुरू कर देना चाहिए।
इस मौसम में किसान गाजर, सरसों, पालक, मूली, शलजम, बथुआ, मैथी की बुवाई मेड़ों पर कर सकते हैं। गाजर की उन्नत किस्में पूसा रुधिरा और पूसा केसर हैं। बीज दर 4.0 कि.ग्रा. प्रति एकड़ की दर से करें।
बुवाई से पूर्व बीज को केप्टान / 2 ग्रा. प्रति कि.ग्रा. की दर से उपचारित करें तथा खेत में देसी खाद और फास्फोरस उर्वरक अवश्य डालें। इस समय सरसों साग-पूसा साग-1, मूली-जापानी व्हाइट, हिल क्वीन, पूसा मृदुला (फ्रैच मूली) पालक-आल ग्रीन, पूसा भारतीय शलगम- पूसा स्वेती या स्थानीय लाल किस्मय बथुआ-पूसा बथुआ-1, मेथी-पूसा कसुरीय गांठ गोभी-व्हाइट वियना, पर्पल वियनाय तथा धनिया- पंत हरितमा या संकर किस्मों की बुवाई मेड़ों पर करें।
फसलों की निरंतर करें निगरानी
फल मक्खी से प्रभावित फलों को तोड़कर गहरे गड्डे में दबा दें। फल मक्खी के बचाव हेतु खेत में विभिन्न जगहों पर गुड़ या चीनी के साथ मैलाथियान का घोल बनाकर छोटे कप या किसी और बरतन में रख दें, ताकि फल मक्खी पर नियंत्रण हो सके।
मिर्च तथा टमाटर के खेतों में विषाणु रोग से ग्रसित पौधों को फैंक दें। यदि प्रकोप अधिक है तो इमिडाक्लोप्रिड / 0.3 मि.ली. प्रति लीटर की दर से छिड़काव करें।
भिंडी, मिर्च तथा बेलवाली फसल में माईट, जैसिड और होपर की निरंतर निगरानी करते रहें।