केंद्र सरकार के इस बजट में किए गए प्रावधानों से देवभूमि उत्तराखंड में बहुरेंगे खेती-किसानी के दिन

केंद्र सरकार के इस बजट में किए गए प्रावधानों से देवभूमि उत्तराखंड  में बहुरेंगे खेती-किसानी के दिन

2022 तक किसानों की आय दोगुना करने की कोशिशों में जुटी केंद्र सरकार के इस बजट में किए गए प्रावधानों से उत्तराखंड के 10 लाख से अधिक किसानों के दिन बहुरने की उम्मीद जगी है। जैविक खेती को प्रोत्साहन दिए जाने से जहां राज्य के पर्वतीय इलाकों में परपंरागत खेती को महत्व मिलेगा, वहीं प्रमुख अन्न उत्पादक ऊधमसिंहनगर और हरिद्वार जिलों के किसानों को एमएसपी, ऑपरेशन ग्रीन्स जैसे उपायों से लाभ मिलेगा। यही नहीं, किसानों को कृषि उत्पाद का उचित दाम मिले, इसके लिए ग्रामीण कृषि बाजार और राष्ट्रीय कृषि बाजार (ई-नाम) से मंडियों के जुड़ाव अहम भूमिका निभाएगा।

मन की बात में किसानों से अपील, साल 2022 तक यूरिया के इस्तेमाल को आधा करें

मन की बात में किसानों से अपील, साल 2022 तक यूरिया के इस्तेमाल को आधा करें

 प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि यूरिया के उपयोग से जमीन को गंभीर नुकसान पहुंचता है, ऐसे में हमें संकल्प लेना चाहिए कि 2022 में देश जब आजादी के 75वीं वर्षगांठ मना रहा हो तब हम यूरिया के उपयोग को आधा कम कर दें. आकाशवाणी पर प्रसारित 'मन की बात' कार्यक्रम में अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने कहा कि हर प्रकार के वैज्ञानिक तरीकों से यह सिद्ध हो चुका है कि धरती-मां को आवश्यकता से अधिक यूरिया के उपयोग से गंभीर नुकसान पहुंचता है. किसान तो धरती का पुत्र है, किसान धरती माता को बीमार कैसे देख सकता है?

एप्पल बेर लगाएं ,सालोंसाल बगैर पूंजी का उत्पादन पाएं

एप्पल बेर की खेती

एप्पल बेर लांग टाइम इंवेस्टमेंट है। इससे एक बार फसल लेने के बाद करीब 15 साल तक फसल ले सकते हैं। कम रखरखाव व कम लागत में अधिक उत्पादन के कारण किसान इसकी ओर आकर्षित हो रहे हैं।

बेर… लगभग सबने खाया और देखा होगा, लेकिन एप्पल जैसा आकार और खाने में बेर का स्वाद, यह शायद पहली बार ही सुना होगा, लेकिन यह सच्चाई है।  थाईलैंड का यह फल इंडिया में थाई एप्पल बेर के नाम से प्रसिद्ध है। थाईलैंड में इसको जुजुबी भी कहते हैं।

 

बजट 2018 में किसान

बजट 2018 और किसान

नरेंद्र मोदी की अगुआई वाली एनडीए सरकार के 2018-19 को किसानों और ग्रामीणों का बजट बताया जा रहा है। पहले वित्त मंत्री अरुण जेटली फिर प्रधानमंत्री ने बार-बार जोर देखकर कहा कि ये बजट किसानों और गांव का बजट है। हम किसानों की आमदनी 2022 तक दोगुनी करेंगे और हर फसल का न्यूनतम समर्थन मूल्य देंगे।

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