गेहूं की कटाई के बाद तैयार करें हरी खाद
गेहूं की कटाई के बाद किसान को खेत की उर्वरा शक्ति बढ़ाने के लिए हरी खाद तैयार करनी चाहिये।गेहूं 30 अप्रैल तक पूरी तरह से कट जाएगा। इसके बाद ज्यादातर खेत खाली पड़े रहते है। जिसमें किसान ढैंचा, सन, आदि की उपज लेकर हरी खाद ले सकते हैं। किसान भाई तीसरी फसल के रूप में मूंग (दलहन) की खेती कर सकते है। यह फसल 65-70 दिनों में तैयार हो जाती है। इससे भूमि की उर्वरा शक्ति भी बढ़ती है। इस दौरान किसान चाहे तो तीसरी फसल के रूप में सूरजमुखी (तिलहन) की खेती कर सकते है।
किसान हैल्प के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं जाने माने जैविक प्रचारक डॉ. आर.के.सिंह जी का मानना है कि " धान-गेहूं फसल चक्र में एक तीसरी फसल के रूप में मूंग को जोड़कर फसलों की उत्पादकता, लाभ एवं संसाधन उपयोग दक्षता को बढ़ाया जा सकता है। वहीं, धान के स्थान पर मक्का उगाने पर फसल उत्पादकता में 82-89 प्रतिशत सिंचाई जल की खपत में कमी, 49-66 प्रतिशत ऊर्जा खपत में कमी एवं 13-40 प्रतिशत वैश्विक तपन क्षमता में कमी लाई जा सकती है। इसके अलावा 0.7 टन प्रति हैक्टेयर अधिक धान समतुल्य उत्पादकता से 27-73 प्रतिशत तक अधिक लाभ कमाया जा सकता है। भूमि के घटते जलस्तर और श्रम की कमी से निपटने के लिए फसल विविधिकरण एवं खाद्य सुरक्षा की दृष्टि से बिना जुताई वाले खेतों में अवशेषों को हटाए बिना मक्का-गेहूं-मूंग फसल चक्र एक अच्छा विकल्प हो सकता है।"