रामतिल

रामतिल या 'काला तिल' (अंग्रेजी: Niger ; वानस्पतिक नाम : Guizotia abyssinica) एक तिलहनी फसल हैजगनी के नाम से आदिवासी बाहुल्‍य क्षेत्रों में पहचानी जाने वाली फसल रामतिल है। मध्‍यप्रदेश में इसकी खेती लगभग 220 हजार हेक्‍टेयर भूमि में की जाती है तथा उपज 44 हजार टन मिलती है। प्रदेश में देश के अन्‍य उत्‍पादक प्रदेशों की तुलना में औसत उपज अत्‍यंत कम (198 किलोग्राम प्रति हेक्‍टेयर ) है। मध्‍यप्रदेश में इसकी खेती प्रधान रूप से छिंदवाडा , बैतूल, मंडला, सिवनी, डिन्‍डौरी एवं शहड़ोल जिलों में की जाती है।
रामतिल के बीजों में 35 – 45 प्रतिशत तेल एवं 25 से 35 प्रतिशत की मात्रा पायी जाती है। रामतिल की फसल विषम परिस्थितियों में भी उगाई जा सकती है। फसल को अनुपजाऊ एवं कम उर्वराशक्ति वाली भूमि में भी लिया जा सकता है। इसका तेल एवं बीज पूर्णत: विषैले तत्‍वों से मुक्‍त रहता है तथा यह कीडों बीमारियों जंगली जानवरों तथा पक्षियों से होने वाली क्षति से कम प्रभावित होती है। फसल भूमि का कटाव रोकती है। रामतिल की फसल के बाद उगाई जाने वाली फसल की उपज अच्‍छी आती है। प्रदेश में फसल की उपज को निम्‍नानुसार उन्‍नत कृषि तकनीकी अपनाकर बढ़ाया जा सकता है।

रामतिल की उन्नत खेती

जगनी के नाम से आदिवासी बाहुल्‍य क्षेत्रों में पहचानी जाने वाली फसल रामतिल है। मध्‍यप्रदेश में इसकी खेती लगभग 220 हजार हेक्‍टेयर भूमि में की जाती है तथा उपज 44 हजार टन मिलती है। प्रदेश में देश के अन्‍य उत्‍पादक प्रदेशों की तुलना में औसत उपज अत्‍यंत कम (198 किलोग्राम प्रति हेक्‍टेयर ) है। मध्‍यप्रदेश में इसकी खेती प्रधान रूप से छिंदवाडा , बैतूल, मंडला, सिवनी, डिन्‍डौरी एवं शहड़ोल जिलों में की जाती है।