अरबी की खेती एक जानकारी
अरबी दो तरह की होती है जिसमे एक एडिन और दूसरी डेसिन टाइप, एडिन को अरबी तथा डेसिन को बण्डा कहते है इसकी खेती पूरे भारत में की जाती हैI एशिया में अफ्रीका का प्रथम स्थान पैदावार एवं क्षेत्रफल में हैI घुईया या अरबी में चिड़चिड़ाहट या एक्रीडिटी पाई जाती है और यह पकाने के बाद ख़त्म हो जाती हैI
अरबी की खेती के लिए जलवायु एवं भूमि किस तरह की होनी चाहिए?
अरबी नम स्थानो पर अधिक उगाई जाती है लेकिन शीतोष्ण एवं सम-शीतोष्ण जलवायु अच्छी मानी जाती हैI यह उत्तर में पहाड़ी एवं मैदानी दोनों ही क्षेत्रो में उगाई जा सकती है जहाँ पानी का भराव नहीं होता हैI अरबी की खेती उपजाऊ बलुई दोमट भूमि में अच्छी होती है तथा भारी मिट्टी में भी की जा सकती है लेकिन जल निकास का अच्छा प्रबंध होना चाहिएI जिस भूमि का पी.एच. 5.5 से 7 के बीच में होता है वहां पर भी इसकी खेती की जाती हैI
अरबी की उन्नतशील प्रजातियां कौन-कौन सी पाई जाती है?
अरबी की बहुत सी प्रजातियां पाई जाती है जैसे की सतमुखी, श्रीरश्मी, तथा श्री पल्लवी प्रजातियां उन्नतशील है इसके साथ ही सफ़ेद गौरैया, काका काचू, पंचमुखी, एन.डी.सी.1,एन.डी.सी.2, एन.डी.सी.3, सहर्षमुखी, कदमा, मुक्ताकाशी, नदिया लोकल, अहिना लोकल, तेलिया इसके साथ ही सी.9, सी.135, सी.149 , सी.266 इसके साथ ही एस.3, एस.11, पंजाब, गौरैया बिहार, फैजाबादी, बंसी, लधरा, अच्छी पाई गयी हैI
अरबी की खेती हेतु खेत की तैयारी हमारे किसान भाइयो को किस तरह करनी चाहिए?
खेत की पहली जुताई मिट्टी पलटने वाले हल से बाद में तीन चार जुताई देशी हल या कल्टीवेटर से करके खेत को भुरभुरा करके समतल बना लेना चाहिएI आख़िरी जुताई में सड़ी गोबर की खाद 100 से 150 कुंतल प्रति हेक्टेयर के हिसाब से मिला देना चाहिएI
अरबी की खेती में बीज की मात्रा प्रति हेक्टेयर कितनी लगती है?
माध्यम आकार के कंदो का चुनाव करना चाहिएI माध्यम आकार के कंद 7.5 से 9.5 कुंतल प्रति हेक्टेयर बीज लगता हैI
अरबी की बुवाई किस समय तथा किस विधि से करनी चाहिए?
उत्तर भारत में दो बुवाई की जाती है जायद में मार्च से अप्रैल तक कंदो की बुवाई या रोपाई की जाती हैI खरीफ या बरसात में तथा पहाड़ो में जून से जुलाई तक कंदो की बुवाई या रोपाई की जाती हैI इसकी बुवाई लाइनो में करनी चाहिए लाइन से लाइन की दूरी 45 सेंटीमीटर तथा पौधे से पौधे की दूरी 30 सेंटीमीटर एवं 6 से 7 सेंटीमीटर गहराई पर कंदो की बुवाई या रोपाई करनी चाहिएI
अरबी की फसल में खाद एवं उर्वरको का प्रयोग कब और कैसे तथा कितनी मात्रा में करना चाहिए?
खाद एवं उर्वरक में 80 किलोग्राम नत्रजन, 60 किलोग्राम फास्फोरस एवं 60 किलोग्राम पोटाश तत्व के रूप में तथा साथ में 100 से 150 कुंतल सड़ी गोबर की खाद प्रयोग करते है आधी मात्रा नत्रजन की तथा पूरी मात्रा फास्फोरस की व् आधी मात्रा पोटाश की खेत की तैयारी के समय देना चाहिए तथा आधी मात्रा नत्रजन व् पोटाश की दो बार में खड़ी फसल में देना चाहिएI पहली बार 7 से 10 स्प्राउट निकलने पर तथा दूसरी बार इसके एक माह बाद देना चाहिएI प्रत्येक टॉपड्रेसिंग के बाद मिट्टी चढ़ाना अति आवश्यक हैI
अरबी की फसल में सिंचाई कब और कैसे करनी चाहिए?
बुवाई के चार-पांच दिन बाद सिंचाई करनी चाहिएI यदि कंदो में स्प्राउट सही आ रहे है तो 8 से 10 दिन बाद सिंचाई करनी चाहिएI
अरबी की फसल में निराई-गुड़ाई तथा खरपतवार नियंत्रण कैसे करना चाहिए?
बुवाई के एक दिन बाद ही 3.3 लीटर पेंडामेथलिन का स्प्रे 700 से 800 लीटर पानी में मिलाकर प्रति हेक्टेयर की दर से कर देना चाहिएI इसके एक दिन बाद ही मल्चिंग करनी चाहिएI मल्चिंग से खरपतवारो का नियंत्रण भी होता हैI मल्च को हटाने के बाद आवश्यकतानुसार एक या दो निराई-गुड़ाई करते हुए पौधों पर मिट्टी चढ़ानी चाहिए इससे कंद अच्छे बनते है जिससे पैदावार अच्छी होती हैI
अरबी की फसल में कौन-कौन से रोग लगते है तथा उनका नियंत्रण हम कैसे कर सकते है?
अरबी में लीफ ब्लाइट या पीथियम गलन बीमारी या रोग लगते हैI लीफ ब्लाइट के नियंत्रण हेतु डाइथेन एम 45 का 8 से 10 ग्राम प्रति 10 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करना चाहिए इसके साथ ही रोगरोधी प्रजातियों की बुवाई करनी चाहिएI पीथियम के नियंत्रण हेतु किसी फफूंदी नाशक से भूमि शोधन करना चाहिए तथा रोगरोधी प्रजातियों की बुवाई करनी चाहिएI
अरबी की फसल में कौन-कौन से कीट लगते है तथा उनका नियंत्रण कैसे कर सकते है?
अरबी में लीफ हापर तथा लीफ ईटर कीट लगते हैI लीफ हापर के नियंत्रण हेतु एक प्रतिशत बी.एच.सी. डस्ट का छिड़काव करना चाहिएI लीफ ईटर के नियंत्रण हेतु लेड अर्सिनेट का छिड़काव करना चाहिएI
अरबी की फसल की खुदाई कब करनी चाहिए?
जब फसल की पत्तियां पीली होकर जमीन पर गिरने लगे उस समय खुदाई करनी चाहिएI यह स्थित लगभग 120 से 150 दिन के बाद आती हैI
अरबी की फसल में प्रति हेक्टेयर कितनी मात्रा में पैदावार हमें प्राप्त होती है?
उपज प्रजातियों के आधार पर होती है लेकिन सामान्य रूप से 160 से 200 कुंतल प्रति हेक्टेयर उपज प्राप्त होती हैI