क्या है जैविक खेती
वर्मी कंपोस्ट : वर्मी कंपोस्ट जैविक खाद का ही एक रूप है. इसे बनाने के लिए दस बाई तीन फीट आकार का एक प्लेटफार्म किसी पेड़ या छायादार जगह के नीचे बनाया जाता है. प्लेटफार्म को ज़मीन की सतह से ऊंचा रखा जाता है. प्लेटफार्म को डेढ़ फीट ऊंचा करके जालीनुमा बना दिया जाता है. पक्के प्लेटफार्म की सतह पर एक-डेढ़ इंच मोटी मिट्टी की परत डाल दी जाती है. मिट्टी की परत के बाद छह इंच मोटी हरी एवं सूखी घास या फूस की परत चढ़ाई जाती है. गोबर की छह इंच मोटी परत के बाद हल्की मिट्टी छिड़क दी जाती है. कृषि वैज्ञानिकों के मुताबिक़, एक क्यूबिक मीटर में पांच सौ केचुए छोड़ने चाहिए. वर्मी कंपोस्ट की एक यूनिट में डेढ़ किलो केचुए छोड़े जाते हैं. लगभग दो महीने बाद जैविक खाद तैयार हो जाती है. एक यूनिट में लगभग 3 क्विंटल वर्मी कंपोस्ट तैयार की जा सकती है. वर्मी कंपोस्ट में नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटाश की मात्रा ज़्यादा होती है.
वर्मी वाश: केचुओं के मूत्र से वर्मी वाश बनाया जाता है. वर्मी वाश एक बहुत ही असरदार कीटनाशक का काम करता है. केचुओं का मूत्र इकट्ठा करने के लिए एक घड़ा लेते हैं. घड़े के नीचे एक बहुत ही छोटा छेद कर देते हैं. घड़े में छोटे-छोटे पत्थर के टुकड़े, रेत, मिट्टी, गोबर एवं घास आदि डालते हैं. फिर उसमें पानी भरा जाता है. घड़े के छेद को ढक दिया जाता है. इसके बाद उसमें 200 से 300 केचुए छोड़ दिए जाते हैं. इस घड़े को छायादार जगह में ही रखा जाता है. 30 दिनों के बाद घड़े के नीचे बने छेद को खोल दिया जाता है. इसी छेद से रिस-रिसकर वर्मी वाश एक साफ बर्तन में इकट्ठा कर लिया जाता है. इसका इस्तेमाल किसी भी फसल के लिए किया जा सकता है. अगर फसल में कोई कीड़ा लग जाए तो उसमें भी इसका इस्तेमाल किया जा सकता है.
तरल खाद : गोबर से तरल खाद भी बनाई जा सकती है. तरल जैविक खाद बनाने के लिए एक बड़े ड्रम में पानी भर कर गल सकने वाले पदार्थ, जैसे गाय, भैंस, सुअर, मुर्गी एवं अन्य जानवरों का गोबर एवं मूत्र और मछली, समुद्री खर-पतवार, पेड़ों की पत्तियां आदि डाला जाता है. क़रीब 30 दिनों के बाद तरल खाद बनकर तैयार हो जाती है. एक हेक्टेयर खेत के लिए इस खाद में 40 से 45 लीटर पानी मिलाकर छिड़काव करना चाहिए.
हर्बल स्प्रे : एक घड़े में पानी लेकर उसमें नीम की पत्तियां, नीम के बीज, हल्दी एवं लहसुन आदि मिला देते हैं. कुछ दिनों के बाद इस हर्बल स्प्रे का इस्तेमाल किया जा सकता है. इस स्प्रे का इस्तेमाल फसल में कीड़े आदि लगने पर उन्हें ख़त्म करने के लिए किया जा सकता है.
2-स्वँय सहायता समूह बना कर भी गाँवोँ मेँ रोजगार के साधन उपलब्ध कराएँ जा सकते है.
3-ग्राम कुटीर उद्ध्योग की स्थापना: सहकारिता के आधार पर गाँवोँ मेँ उपलब्ध सँसाधन का इस्तेमाल कर ग्राम कुटीर उद्ध्योग से ग्राम स्तर पर रोजगार सृजन किया जा सकता है.
4-रोजगार प्रशिक्षण जैसे कार्यक्रम के माध्यम से युवाओँ/महिला लके लिए रोजगार निर्माण के प्रयास किए जा सकते है.