खरपतवार नाशी का उपयोग करते समय सावधानी बरते

खरपतवारनाशी आधुनिक कृषि विज्ञान की परम आवश्यकता है। खरपतवार नाशीयों से खरपतवार नियंत्रण करना मजदूरो द्वारा, यंत्रों द्वारा, शारीरिक शक्ति से अधिक मितव्ययी है। किसान भाईयों को खरपतवारनाशी का चयन करने से पहले निम्नलिखित बातों का ध्‍यान करना चाहिये:

• खरपतवार का प्रकार।

• फसल को जख्म।

• खरपतवार नाशीयों की कीमत

• मौसम का प्रभाव

• आधुनिक संरक्षण तरीके जैसे कम जुताई, न के बराबर जुताई।

 

खरपतवार नाशक दवाई खरीदने से पहले आप अवश्य जान लें कि :

• किस खरपतवार को नियन्त्रण करना है।

• क्या यह दवाई मिश्रित खरपतवार संख्या के लिए उपयोग हो सकती है।

• क्या यह दवाई ज्यादा खरपतवार को मार सकती है।

• इस दवाई का असर कब तक जमीन में रहेगा।

• इस दवाई का खरपतवार संख्या - नुकसान का कितना रिश्ता है।

• क्या आप दवाई विश्वसनीय लाईसेन्सधारी दुकान से खरीद रहे हैं।

• क्या आपने उतनी ही दवाई खरीदी है जितनी इस मौसम में इस्तेमाल हो सके।

• क्या आपने समाप्ति तिथि पढ़ ली है।

• क्या आप दवाई असली पैकिंग में खरीद रहे हैं।

• कही आपने दवाई खुली हुई तो नहीं खरीदी।

• कही दवाई का डिब्बा पुराना जंग लगा तो नहीं।

 

एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाते हुए सावधानियॉ :

• एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाते समय खरपतवार नाशक दवाई का डिब्बा कस कर बन्द होना चाहिए।

• इन दवाईयों को कमी भी खाने के सामान के साथ में न लेकर चले।

• स्टोर से खेत में जाते वक्त दवाई के डिब्बे कन्‍धे या पीठ पर लाद कर मत ले जाऐं।

• खरपतवार नाशक दवाई एक स्थान से दूसरे स्थान पर स्थानांतरण के समय अगर कपड़ों या शरीर पर गिर  जाए तो तुरन्त उसे पानी से साफ करे।

भण्डारण करते समय सावधानियॉ :

• थोक मात्रा में दवाई मत खरीदे। केवल उतनी ही दवाई ले जितनी उसी मौसम में उपयोग हो सके।

• खरपतवार नाशक दवाईयों को बीज, खाने के सामान, पशुओं के खाने, पशुओं की दवाईयों व बच्चों की पहुँच  से दूर रखें।

• बिना लेबल की दवाईयों का भण्डारण न करें, उन्हें सुरक्षित नष्ट कर दें।

• इन दवाईयों को खुले हवादार कमरे में रखें परन्तु पानी, आग व सूर्य की रोशनी से बचा कर।

• बची हुई दवाई अपने ही डिब्बे में वापिस डालें।

स्प्रे के वक्त सावधानियॉ :

•  डिब्बा खोलने से पहले लेबल व सावधानियॉ पूरी पढ़ लें

• लेबल लगे हुए ही डिब्बे की दवाई प्रयोग करे। रंग और खुशबू या बदबू से दवाई को मत पहचानिए।

• दवाई खुले हवादार स्थान पर खोलें, पानी सिंचाई की नालियॉ या पीने के पानी से दूर।

• बन्द स्प्रे पम्प की पाईप या नोजल को मुँह से मत फूकें।

• स्प्रे करते वक्त बीड़ी सिग्रेट मत पीयें ।

• दवाई के खाली इस्तेमाल किए हुए डिब्बों को दूर व्यर्थ जमीन में गाढ़ दें।

• सारी दवाई स्प्रे करने के बाद अच्छी तरह नहाए व कपड़ों को अच्छी तरह साफ करें।

• स्प्रे करते वक्त ध्‍यान रखे कि दवाई की छींटे आसपास की फसलों या जीव जन्तुओं पर ना जाए।

• अगर कोई दुर्घटना हो जाए तो तुरन्त प्राथमिक चिकित्सा दे। मरीज को नजदीक के डाक्टर के पास ले जाए।

• उसे हवादार और छाया में लिटाकर उसके मुह पर बंधा  कपड़ा हटा दें।

• डाक्टर के आने पर उसे खरपतवार दवाई का लेबल व साहित्य पूरा दिखाएं।

अन्य सावधानियॉ :

  • खरपतवार नाशक स्प्रे की हुई फल व सब्जिया तोड़ने से पहले जांच लें कि क्या इन्तजार की अव्‍धि  पूरी हो गई है।
  • फसल चक्र का व खरपतवार नाशक दवाई के चक्र का अनुसरण करें।
  • अच्छी फसल उगाने के लिए काफी मात्रा में गोबर की खाद व रासायनिक खाद का प्रयोग करें ताकि फसल पर दवाई के प्रभाव को कम किया जा सके।

खरपतवार नाशी स्प्रेका हवा में बहना (स्प्रेड्रीफट)

खरपतवार नाशी स्प्रे की बूदें जब निर्धारित लक्ष्य (फसल) से हवा के बहाव के साथ दूर सटे खेतों या फसलों पर पड़ती है तो उन फसलों, जानवरों को भी जख्मी करती है।

स्प्रे ड्रीफट का दूर बहना निम्नलिखित बातों पर निर्भर करता है।

  • द्रव की बूदों का आकार जितना छोटा होगा उतनी ही हवा की गति के साथ बूदों का बहाव दूर तक होगा।
  • छोटी नोजल का आकार और ज्यादा दबाव ज्यादा छोटी बूदें पैदा करती है जो आसपास की फसलों को ज्यादा नुकसान पहुंचाती है।
  • तेज हवा में स्प्रे करने से खरपतवारनाशी द्रव की बूदों का बहाव तेज हो जाता है। दूसरे खेतों की फसलों को नुकसान पहुँचता है।
  • स्प्रे करने के समय मौसम बिल्कुल शान्त होना चाहिए। सुबह व शाम का समय स्प्रे करने के लिए अति उत्‍तम होता है।
  • स्प्रे टैंक की उंचाई अगर ज्यादा होगी तो स्प्रे बहाव भी दूर तक जायेगा।

स्प्रे के इक्यूपमेन्ट

खरपतवार नाशी को फसलों पर छिड़काव करके खरपतवारों का प्रबंधन किया जाता है। खरपतवार नाशीयों के छिड़काव के लिए मुख्यता नेपसेक पम्प का इस्तेमाल किया जाता है। एक हेक्टर में छिड़काव करने के लिए खरपतवारनाशी का पानी में लगभग ३५० से ५०० लीटर का घोल बनाया जाता है।

नेपसेक पम्प अन्य स्प्रे मशीन की आउटपुट निम्नलिखित बातों पर निर्भर करती है

• पम्प की नोजल

• प्रेशर

• छिड़काव की गति - खरपतवार नाशी के छिड़काव के लिए फलैटफैन नोजल अत्याधिक इस्तेमाल होती है।

• सामान्य गति से पीठ पर नेपसेक स्प्रे पम्प लाद कर छिड़काव करने से खरपतवारनाशी का सम्मान रूप से फैलाव होता है।

• पम्प को इस्तेमाल से पहले व बाद में अच्छी तरह धो लेना चाहिए।

पम्प का रखरखाव

• दवाई का घोल बनाते हुए स्वच्छ पानी का प्रयोग करें।

• पानी भरने के लिए छलनी का प्रयोग करें।

• पम्प को प्रयोग से पहले अच्छी तरह धो ले।

• नोजल को साफ करते वक्त मुँह से न फूके।

•  नोन स्लैक्टीव खरपतवार नाशक दवाईयों के लिए अलग स्प्रे पम्प इस्तेमाल करे।

• २० प्रतिशत अमोनिया का घोल को टैंक में भरकर रात भर रखे और सुबह इस घोल को धीरे-धीरे हैन्डल चलाते हुए नोजल से बाहर फैंके।

अन्य सावधानियॉ :

  • खरपतवार नाशक स्प्रे की हुई फल व सब्जिया तोड़ने से पहले जांच लें कि क्या इन्तजार की अव्‍धि  पूरी हो गई है।
  • फसल चक्र का व खरपतवार नाशक दवाई के चक्र का अनुसरण करें।
  • अच्छी फसल उगाने के लिए काफी मात्रा में गोबर की खाद व रासायनिक खाद का प्रयोग करें ताकि फसल पर दवाई के प्रभाव को कम किया जा सके।

खरपतवार नाशी स्प्रेका हवा में बहना (स्प्रेड्रीफट)

खरपतवार नाशी स्प्रे की बूदें जब निर्धारित लक्ष्य (फसल) से हवा के बहाव के साथ दूर सटे खेतों या फसलों पर पड़ती है तो उन फसलों, जानवरों को भी जख्मी करती है।

स्प्रे ड्रीफट का दूर बहना निम्नलिखित बातों पर निर्भर करता है।

  • द्रव की बूदों का आकार जितना छोटा होगा उतनी ही हवा की गति के साथ बूदों का बहाव दूर तक होगा।
  • छोटी नोजल का आकार और ज्यादा दबाव ज्यादा छोटी बूदें पैदा करती है जो आसपास की फसलों को ज्यादा नुकसान पहुंचाती है।
  • तेज हवा में स्प्रे करने से खरपतवारनाशी द्रव की बूदों का बहाव तेज हो जाता है। दूसरे खेतों की फसलों को नुकसान पहुँचता है।
  • स्प्रे करने के समय मौसम बिल्कुल शान्त होना चाहिए। सुबह व शाम का समय स्प्रे करने के लिए अति उत्‍तम होता है।
  • स्प्रे टैंक की उंचाई अगर ज्यादा होगी तो स्प्रे बहाव भी दूर तक जायेगा।

डा. निशाकान्त चौपड़ा, डा. नीलम कुमार चौपड़ा एवं डा. सलविन्द्र सिंह अटवाल

 

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