फसल को कीटों के प्रकोप से बचाएं

गेहूं की बाली बनने के समय पर सिंचाई का विशेष ध्यान रखें किसान

लखनऊ। सामान्य समय पर बोए गए गेहूं में अब बाली बनने का समय है ऐसे में किसान सिंचाई का विशेष ध्यान रखें। यह सुझाव उत्तर प्रदेश कृषि अनुसंधान संस्थान में आयोजित फसल मौसम सतर्कता समूह के में दिये गये। इनके सुझाव अनुसार दलहन में कीट प्रकोप के प्रति किसान सचेत रहें और लक्षण दिखने पर तुरंत उपचार करें।

दोमट भूमि में देरी से बुआई वाले क्षेत्रों में नत्रजन की एक चौथाई मात्रा सिंचाई के बाद दें। हल्की मृदा (बलुई दोमट) में नत्रजन की शेष मात्रा का आधा भाग दूसरी सिंचाई के बाद दें। सिंचित व असिंचित दोनों प्रकार के गेहूं में रोग वाली बाली दिखाई देने उसे पॉलीथिन में डालकर काट लें और उसे जमीन में गाड़ दें।

बोई गई प्रजाति की शुद्धता बनाये रखने के लिये रोगिंग (अवांछित पौधों को निकाल दें) करें।

गेहूंसा एवं जंगली जई आदि संकरी पत्ती वाले खरपतवारों के नियंत्रण के लिये मौसम साफ होने पर आईसोप्रोट्यूरॉन 75 प्रतिशत डब्लूपी 1.25 किग्रा प्रति हेक्टेयर या सल्फोसल्फ्यूरॉन 75 प्रतिशत डब्लूपी की 33 ग्रा (2.5 यूनिट) प्रति हेक्टेयर मात्रा बुवाई के 20-25 दिन के बाद 500-600 ली पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें। सल्फोसल्फ्यूरॉन का प्रयोग संकरी तथा चौड़ी दोनों प्रकार के खरपतवारों के लिये किया जा सकता है।

तिलहन

सरसों के नाशीजीवों के प्राकृतिक शत्रुओं जैसे इन्द्रगोप भृंग, क्राइसोपा, सिरीफेड आदि का फसल वातावरण में संरक्षण करना चाहिए। नाशीजीवों व उनके प्राकृतिक शत्रुओं की संख्या 2:1 का अनुपात होना चाहिए। यदि नाशीजीवों की संख्या प्राकृतिक शत्रुओं से अधिक है तो मौसम साफ होने पर डाइमिथोट 30 ईसी एक लीटर या मोनोक्रोटोफास 36 एसएल एक लीटर प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करें।

मटर

इसमें फली बेधक कीट या अद्र्धकुण्डलीकार कीट के नियंत्रण के लिए बैसिलस थूरिनजिएन्सिस (बीटी) की कस्र्टकी प्रजाति एक किग्रा, एजाडिरैक्टिन 0.03 प्रतिशत डब्लूएसपी 2.5-3.00 किग्रा, एनपीवी (एच) दो प्रतिशत एएस, फेनवैलरेट 20 प्रतिशत ईसी एक लीटर, क्यूनालफास 25 प्रतिशत ईसी दो लीटर, मोनोक्रोटोफास 36 प्रतिशत एसएल एक लीटर में से किसी एक रसायन का बुरकाव या 500-600 लीटर पानी में घोलकर प्रति हेक्टेयर छिड़काव करें।

अरहर

फली भेधकों के दिखाई देने पर पांच प्रतिशत प्रकोपित फली पाये जाने पर बीटी पांच प्रतिशत डब्लूपी 1.5 किग्रा इन्डाक्साकार्ब 14.5 एससी 400 मिली क्यूनालफास 25 ईसी 1.50 लीटर, फेलवेलरेट 20 ईसी 750 मिली, साइपरमेथ्रिन 10 ईसी 750 मिली 500-700 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें।

ज़ायद फसलों के लिए

उड़द की बुआई के लिए पूरे प्रदेश में टा-9, नरेन्द्र उर्द-1, आजाद उर्द-1, उत्तरा, आजाद उर्द-2 व शेखर-2 आदि की बुआई 15 फरवरी से कर सकते हैं। सूरजमुखी की संकुल किस्मों मॉडर्न, सूर्या व संकर किस्मों केवी, सएच-1, एसएच-3322 व एमएसएफ एच-17 की बुआई 15 फरवरी से करें। मक्का की नवजोत, नवीन, श्वेता, आजाद उत्तम, कंचन, गौरव व संकर किस्मों दक्कन-115, एमएमएच-133, प्रो-4212, एक्स-1123 (3342), हरे भुट्टे हेतु माधुरी, प्रिया शिशु मक्का हेतु बीएल-42, प्रकाश, पूसा अगेती संकर मक्का-2 की बुआई 20 फरवरी तक जरुर पूरी कर लें।