मिट्टी की जांच कब , क्यों,कैसे
कृषि में मृदा परीक्षण या "भूमि की जाँच" एक मृदा के किसी नमूने की रासायनिक जांच है जिससे भूमि में उपलब्ध पोषक तत्वों की मात्रा के बारे में जानकारी मिलती है। इस परीक्षण का उद्देश्य भूमि की उर्वरकता मापना तथा यह पता करना है कि उस भूमि में कौन से तत्वों की कमी है।
कब
फसल की कटाई हो जाने अथवा परिपक्व खड़ी फसल में।
प्रत्येक तीन वर्ष में फसल मौसम शुरू होने से पूर्व एक बार।
भूमि में नमी की मात्रा कम से कम हो।
क्यों
सघन खेती के कारण खेत की मिट्टी में उत्पन्न विकारों की जानकारी।
मिट्टी में विभिन्न पोषक तत्वों की उपलब्धता की दशा का बोधक।
बोयी जाने वाली फसल के लिए पोषक तत्वों की आवश्यकता का अनुमान।
संतुलित उर्वरक प्रबन्ध द्वारा अधिक लाभ।
मृदा पोषक तत्वों का भंडार है तथा पौधों को सीधे खडा रहने के लिए सहारा देती है। पौधों को अपना जीवन चक्र पूरा करने के लिए 16 पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है। ये तत्व है :
मुख्य तत्व
कार्बन, हाइडोजन, आक्सीजन, नत्रजन, फास्फोरस, पोठाश, कैल्सिशयम, मैग्नीशियम।
सूक्ष्म तत्च
जस्ता, मैग्नीज, ताँबा, लौह, बोरोन, मोलिबडेनम व क्लोरीन।
इन सभी तत्वों का संतुलित मात्रा में प्रयोग करने से ही उपयुक्त पैदावार ली जा सकती है।
यदि किसी भंडार से केवल निष्कासन ही होता रहे और उसमें निष्कासित मात्रा की पूर्ति न की जाय जो कुछ समय बाद वह भंडार खाली हो जाता है। ठीक यही दशा हमारे मृदा की है। लगातार फसल उत्पादन में वृद्वि एवं बडती सघन खेती के परिणाम स्वरूप पोषक तत्वों का ह्रास भी बड रहा है। परंतु उर्वरकों एवं रासायनिक खादों द्वारा उनकी पूर्ति पूरी तरह से नहीं हो पा रही है। जिससे हमारी भूमि की उर्वरा शक्ति क्षीण होती जा रही है।
कैसे
एक एकड़ क्षेत्र में लगभग 8-10 स्थानों से ‘V’ आकार के 6 इंच गहरे गहरे गढ्ढे बनायें।
एक खेत के सभी स्थानों से प्राप्त मिट्टी को एक साथ मिलाकर ½ किलोग्राम का एक सन्युक्त नमूना बनायें।
नमूने की मिट्टी से कंकड़, घास इत्यादि अलग करें।
सूखे हुए नमूने को कपड़े की थैली में भरकर नाम, खेत संख्या, फसल उगाने का ब्यौरा दें।
नमूना प्रयोगशाला को प्रेषित करें अथवा’ ‘परख’ मृदा परीक्षण किट द्वारा स्वयं परीक्षण करें
मृदा का नमूना लेने की विधि
जिस जमीन का नमूना लेना हो उस क्षेत्र पर 10-15 जगहों पर निशान लगा लें।
चुनी गई जगह की उपरी सतह पर यदि कूडा करकट या घास इत्यादी हो तो उसे हटा दें।
खुरपी या फावडे से 15 सेमी गहरा गड्डा बनाएं। इसके एक तरफ से 2-3 सेमी मोटी परत उपर से नीचे तक उतार कर साफ बाल्टी या ट्रे में डाल दें। इसी प्रकार शेष चुनी गई 10-15 जगहों से भी उप नमूने इकट्ठा कर लें।
अब पूरी मृदा को अच्छी तरह हाथ से मिला लें तथा साफ कपडे या टब में डालकर डेर बनालें। अंगुली से इस डेर को चार बराबर भागों में बांट दें। आमने सामने के दो बराबर भागों को वापिस अच्छी तरह से मिला लें। यह प्रक्रिया तब तक दोहराएं जब तक लगभग आधा किलो मृदा न रह जाए। इस प्रकार से एकत्र किया गया नमूना पूरे क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करेगा।
नमूने को साफ प्लास्टिक की थैली में डाल दें। अगर मृदा गीली हो तो इसे छाया में सूखा लें। इस नमूने के साथ नमूना सूचना पत्रक जिसमें किसान का नाम व पूरा पता, खेत की पहचान, नमूना लेने कि तिथि, जमीन का ढलान, सिंचाई का उपलब्ध स्रोत, पानी निकास, अगली ली जाने वाली फसल का नाम, पिछले तीन साल की फसलों का ब्यौरा व कोई अन्य समस्या आदि का विवरण, कपड़े की थैली में रखकर इसका मुँह बांधकर कृषि विकास प्रयोगशाला में परिक्षण हेतु भेज देवें।
किसान खुद जांच सकेंगे मिट्टी की सेहत
अब किसानों कों मिट्टी की जांच के लिए दर.दर की ठोकरें खाने की जरूरत नहीं है बल्कि वह खुद इसकी जांच करेंगे और दूसरो की मिट्टी जांच कर रुपए भी कमाएंगे।
भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान ने हाल ही में इस यंत्र को विकसित किया है और इस यंत्र की विशेषता यह भी है कि मिट्टी की जांच के बाद अलग अलग फसलोंं के लिए उर्वरकों की मात्राओं को भी बताता है। पहले मिट्टी की जांच के बाद कृषि वैज्ञानिक उर्वरको के प्रयोग की सलाह देते थे। संस्थान के प्रधान वैज्ञानिक जे पी एस डबास ने मीडिया को बताया कि पूसा स्वायल टेस्ट फर्टिलाइजर रिकमेंडेशन मीटर यंत्र से प्रशिक्षित किसान मात्र एक घंटे में मिट्टी जांच की रिपोर्ट प्राप्त कर लेते हैं और इसी दौरान उन्हें फसलों के लिये उर्वरकों की मात्राओं की भी जानकारी प्राप्त हो जाती है। छोटा सा यह यंत्र बिजली और बैट्री दोनों से ही चलता है। बाजार में इसकी कीमत लगभग तीस हजार रुपए है।