केवल अच्छा मानसून ही कृषि और विकास दर का सूचक नही

केवल अच्छा मानसून ही कृषि और विकास दर का सूचक नही

भारत के मौसम विभाग ने जबसे इस साल सामान्य से ज्यादा मानसून की भविष्यवाणी की तब सेलोगों में मानसून चर्चा का विषय बन गया है। अधिकतर लोग यही बात कर रहे हैं कि अच्छी बारिश से न सिर्फ कृषि को बहुत ज्यादा फायदा होगा लेकिन पूरी इकोनॉमी और शेयर बाजार को भी फायदा होगा। जिसके लिए मानसून जरूरी है। अगर आप गहराई में जाएंगे तो पाएंगे कि ये तर्क गलत साबित होते हैं।

 

मौसम विभाग पर भरोसा नहीं

 

अगर हम मानसून को देखें तो ये बहुत ही जटिल है। मौसम विभाग का मानसून की भविष्यवाणी का मॉडल बहुत अलग है। अगर हम पिछले 35 साल का हिसाब देखें तो मौसम विभाग का अनुमान 35 फीसदी गलत निकला है। कई बार तो सामान्य से ज्यादा बारिश के एलान के बाद बहुत कम बारिश हुई। कई बार कम बारिश की भविष्यवाणी के बावजूद ज्यादा बारिश हुई। 45 फीसदी केस में मौसम विभाग 5 फीसदी के मार्जिन से गलत साबित हुआ। 5 फीसदी बहुत बड़ा मार्जिन होता है क्योंकि 96 फीसदी से कम बारिश होने पर साल अच्छा नहीं रहता है। दूसरी तरफ 104 फीसदी बारिश होने पर साल अच्छा माना जाता है। हम चाहते हैं कि मौसम विभाग की भविष्यवाणी सही साबित हो लेकिन भविष्यवाणी में बड़ी गलती की संभावना हमेशा बनी रहती है।

 

बारिश और विकास दर में कमजोर कनेक्शन

 

अगर हम 1995-96 से आंकड़ों(बारिश में उतार-चढ़ाव, कृषि और विकास दर) का विश्लेषण करें तो इनमें कनेक्शन कमजोर दिखता है। विकास दर और बारिश में सिर्फ 0.26 का ही संबंध है। दूसरी तरफ कृषि की विकास दर और कुल विकास दर में संबंध 0.61 का है। अगर पूरी अर्थव्यवस्था की बात करें तो ये सिर्फ 0.58 ही है। इसका अर्थ ये है कि अच्छी बारिश से कृषि पर असर पड़ता है। और इसका कुल इकोनॉमी पर भी असर पड़ता है। लेकिन ये बहुत कम है। अगर 2013-14 के साल को देखें तो उस साल अच्छी बारिश हुई थी और कृषि की ग्रोथ भी औसत से ज्यादा थी लेकिन विकास दर के आंकड़े अच्छे नहीं थे। इसी तरह 2004-05 और 2009-10 में अच्छी बारिश नहीं हुई थी फिर भी कुल विकास दर तेज गति से बढ़ी थी।

 

विकास दर से मानसून के पूरे असर का पता नहीं चलता

 

अगर आप किसान से पूछेंगे तो पता चलेगा कि कृषि उत्पादन बारिश के समय पर निर्भर करता है। साथ ही उसके फैलाव जैसे पिछले साल हरियाणा और यूपी में कम बारिश हुई थी। साथ ही मानसून के टिकने का भी असर होता है। जैसे मराठवाड़ा में वार्षिक बारिश का 80 फीसदी सिर्फ 4 दिन में हो गई जिससे कोई फायदा नहीं हुआ। इसलिए अच्छे मानसून का स्वागत है लेकिन मौसम विभाग की भविष्यवाणी पर निर्भर रहने और इसके कुल विकास दर पर असर में जोखिम है।

पंकज शर्मा