सब्जियां

लौकी ,तोरई टिंडा आदि फसलों में आने वाले रोग व उनके उपचार

गर्मियों में बेल वाली सब्जियाँ जैसे लौकी, तरोई, टिंडा आदि की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है और इनकी खेती करके प्रति इकाई क्षेत्रफल में अच्छा लाभ कमाया जा सकता है। यदि इन सब्जियों की खेती में कुछ सामान्य रोग और व्याधियों का ध्यान दिया जाए तो प्रति इकाई क्षेत्रफल से कम लागत में अधिक लाभ प्राप्त किया जा सकता है। इस मौसम में चूंकि गेहूं की फसल पक रही होती है या कट चुकी होती है। ऐसे में रस चूसने वाले कीट व पत्ती खाने वाले कीट अपना आश्रय ढूंढते हैं और ज्यादातर कीट सब्जी के फसलों में लग जाते हैं। इस प्रकार से बेल वाली सब्जियों में भी कई प्रकार के कीट आक्रमण करते हैं, जिनमें प्रमुख

कददू की उन्नत खेती

सब्जी की खेती में कददू का प्रमुख स्थान हैI इसकी उत्पादकता एवम पोषक महत्त्व अधिक है इसके हरे फलो से सब्जी तथा पके हुए फलो से सब्जी एवम कुछ मिठाई भी बनाई जाती हैI पके कददू पीले रंग के होते है तथा इसमे कैरोटीन की मात्रा भी पाई जाती हैI इसके फूलो को भी लोग पकाकर खाते हैI इसका उत्पादन असाम, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, बिहार, उड़ीसा तथा उत्तर प्रदेश में मुख्य रूप से किया जाता है

जलवायु 

फरवरी में किसान करें इन लता वर्गीय सव्जियों की बुवाई

किसान फरवरी में कौन-कौन सी लता वर्गीय सव्जियों की बुवाई कर सकते हैं. बाजार में आने वाले मौसम और समय को देखते हुए ही किसानों को बुवाई करनी चाहिए जिससे बाज़ार में उसकी मांग के चलते अच्छी कीमत मिल सके. आइए आपको बताते हैं कि आप किन फसलों की बुवाई अगले महीने कर सकते हैं.

चि‍कनी तोरई

टमाटर की बैक्टीरियल विल्ट या जीवाणु उखटा रोग

बैक्टीरियल विल्ट मिट्टी जनित जीवाणु (राल्स्टोनिआ सोलेनेसीरम) के कारण होता है । टमाटर के अलावा यह आलू, बैंगन और शिमला मिर्च में भी हमला करता है । कुल्लू घाटी में इस बीमारी का प्रकोप कम है । अगर यह रोगज़नक़ एक बार  मिट्टी में स्थापित हो जाता है तो यह नौ साल तक उस खेत में रह सकता है ।

पहचान

रोग के कारण कुछ ही दिनों में पौधे का पूरा भीतरी तंत्र कमजोर पड़ जाता है । और बाद में अचानक ही  पत्ते गिरना शुरू हो जाते हैं । ग्रसित पौधे के पत्ते बिना पीले हुए हरे ही रहते हैं ।

रोग का समय

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