जानवर बर्बाद कर रहे हैं खेती तो अपनाएं ये कारगर तरीका .

जानवर बर्बाद कर रहे हैं खेती तो अपनाएं ये कारगर तरीका .

जानवर बर्बाद कर रहे हैं खेती तो अपनाएं ये कारगर तरीका . . हिमाचल की खेती को अब सोलर करंट बचाएगा। जानवर बर्बाद कर रहे हैं खेती तो अपनाएं ये कारगर तरीका . . हिमाचल की खेती को अब सोलर करंट बचाएगा। गोवा और तेलंगाना राज्यों में अपनाया जा चुका ये फार्मूला नाबार्ड ने हिमाचल सरकार को भी सुझाया है। खेतों के किनारे नंगी तारों का बाड़ लगाया जाएगा। इसमें सोलर बैटरी से मामूली सा करंट छोड़ा जाएगा। जंगली जानवर इससे खेतों-बगीचों के निकट भी नहीं फटकेंगे। सूरज की रोशनी से सोलर बैटरी चार्ज होगी। एक बार ये फेंसिंग हो गई तो कई वर्षों तक बहुत कम लागत पर इसे इस्तेमाल किया जा सकेगा। नाबार्ड ने इस संबंध में हिमाचल सरकार के सामने एक थीम पेपर पेश किया है। इसके मुताबिक देश के कई राज्यों में इस विधि को अपनाया जाने लगा है। गोवा और तेलंगाना राज्यों में तो इस पर 80 से 90 प्रतिशत तक सब्सिडी दी जा रही है। इस फेंसिंग को बागवान समूह में लगा सकते हैं। हालांकि, एक मीटर जमीन की फेंसिंग की चारों ओर लागत 400 से 500 रुपये तक आंकी जा रही है, लेकिन राज्य सरकार अगर सब्सिडी दे तो किसानों-बागवानों को इसे सस्ते में मुहैया करवाया जा सकता है। प्रदेश सरकार को केवल सब्जियों और फलों की सुरक्षा के लिए ही इस तरह की फेंसिंग की व्यवस्था करने का सुझाव दिया गया है। माना जा रहा है कि इनकी सुरक्षा में आने वाली लागत चार से पांच साल में रिकवर हो सकती है। हिमाचल में बंदरों, जंगली सुअरों, नीलगाय आदि ने खेती को तबाह कर दिया है। कृषि और बागवानी का एक बड़ा क्षेत्र जंगली जानवरों की समस्या से चौपट हो रहा है। प्रदेश में किसानों-बागवानों को इसकी वजह से कृषि कार्यों से पलायन करने की नौबत तक आ चुकी है। नाबार्ड के शिमला स्थित कार्यालय के मुख्य महाप्रबंधक डॉ. पी. राधाकृष्णन ने बताया कि राज्य को एक थीम पेपर प्रस्तुत किया गया है। इसमें सोलर फेंसिंग से प्रदेश में खेती को सहयोग देने की बात की गई है।