आम की बौर में लगा मैंगोहॉपर कीट

मैंगोहॉपर

आम की बौर में लगा कीड़ा

 रामगंगा घाटी के प्रसिद्ध आम पर इस बार मैंगोहॉपर कीट ने धावा बोल दिया है। इस कीट को नहीं रोका तो तल्लाजोहार में पैदा होने वाले एक हजार क्विंटल आम के व्यवसाय पर इसकी मार पड़ेगी। लोगों को रामगंगा घाटी का आम चखने को नहीं मिलेगा। आम के पेड़ों पर सूखे की भी मार पड़ रही है।
 रिंगूनिया, नाचनी, भैंसखाल, आमधार, टिम्टिया, क्वीटी में आम के बौरों पर कीट की मार पड़ रही है। इलाके में दशहरी, लंगड़ा, फजरी, चौसा, स्थानीय प्रजाति का आम पैदा होता है। इन इलाकों में आम के एक हजार से अधिक पेड़ हैं। हर साल एक एक हजार क्विंटल आम पैदा होता है। इस साल फसल, ठीक थी तो कीटों के हमले, सूखे के कारण पेड़ सूखने से आम उत्पादक बेहद परेशान हैं। किसानों ने बताया कि यह कीट बौर के रस को चूस कर बौर को मार रहा है। जिससे फल बनने की प्रक्रिया पूरी नहीं हो पा रही है। यह कीट आम के पेड़ के लिए भी बेहद घातक है। इस कीट का मल बहुत चमकीला है और इसमें मिठास भरा पदार्थ रहता है। ये पदार्थ पेड़ की पत्तियों पर चिपक जाता है। पत्तों पर तमाम पतंगे, मधुमक्खी मंडराने लगते हैं। इनका मल पत्तों को काला कर देता है। पेड़ के लिए खतरा बन जाता है। पेड़ सूखने लगते हैं। आम उत्पादक त्रिलोक सिंह सामंत, दान सिंह सामंत, पूरन सिंह सामंत, गंगू चंद, हीरा सिंह दानू, गोविंद सिंह, रतन सिंह चुफाल ने कहा कि कीट पर अंकुश नहीं हुआ तो उन लोगों की आम की फसल चौपट हो जाएगी। हर परिवार को हजारों रुपये का नुकसान होगा।

बौर आने के समय फरवरी, मार्च के प्रथम, द्वितीय सप्ताह कीट का पनपना शुरू होता है। नाव के आकार का यह कीट 6 एमएम लंबा, 4 एमएम चौड़ा होता है। कीट पर नियंत्रण नहीं किया गया तो फसल चौपट हो जाएगी। मोनोक्रोटोफॉस दवा दो एमएल पर लीटर की दर से 15-15 दिन के अंतराल में छिड़काव करने से कीट का प्रभाव खत्म हो जाता है।
- डॉ. एके सिंह, मैंगो स्पेश्लिस्ट पंतनगर कृषि विश्वविद्यालय।