केंचुआ खाद से स्वस्थ होगी मिट्टी

रासायनिक उर्वरकों के अंधाधुंध प्रयोग से मिट्टी में हो रही तमाम तत्वों की कमी की पूर्ति केंचुआ खाद से करने की तैयारी की गई है। कृषि विभाग ने बानगी के तौर पर जनपद के कुछ गांवों में 195 किसानों को वर्मी पैड उपलब्ध कराकर केंचुआ खाद उत्पादन से जोड़ने की मुहिम शुरू की है। अधिकारियों ने कहा कि यह खाद न सिर्फ जमीन की उर्वरा शक्ति बढ़ाएगी बल्कि उत्पादन और अनाज की गुणवत्ता में भी बढ़ोतरी करेगी।

यहां तकरीबन हर फसल में ही अभियान चलाकर मिट्टी का परीक्षण कराया जाता है और लगातार उसके जो रिजल्ट आते हैं वह बेहद ही भयावह स्थिति को दर्शाते हैं। कहीं मिट्टी में जीवांश की कमी है तो कहीं आयरन बोरान फास्फोरस पोटाश की मात्रा कम निकल रही है। अर्से से जैविक खेती के लिए किसानों को प्रेरित भी किया जा रहा है, लेकिन उसका कोई खास रिजल्ट नहीं आया। स्वप्रेरित होकर कुछ किसान जरूर जैविक खाद निर्माण और उसके प्रयोग के लिए आगे आए। अब कृषि विभाग ने वर्मी कम्पोस्ट(केंचुआ खाद) को तैयार करने और खेतों में उसका प्रयोग करने के लिए बड़ी पहल शुरू की है। प्रथम चरण में औरैया ब्लाक के आठ गांवों में 40, बिधूना के छह गांवों में 30, एरवाकटरा के चार गांवों में 17, अजीतमल,सहार,अछल्दा, भाग्यनगर के छह-छह गांवों में 27-27 किसानों को अनुदान पर वर्मी पैड उपलब्ध कराए हैं। उप कृषि निदेशक डा. बनारसी यादव ने बताया कि पैड में उन्नतिशील नस्ल के केंचुआ व गोबर भरकर 30 से 40 दिनों में केंचुआ खाद बनाई जा सकती है। हर पैड में इतने दिनों में 50 किग्रा खाद प्राप्त होती है, जिसका प्रयोग कर प्रदूषण मुक्त खेती की जा सकती है। उनके अनुसार खेतों में केंचुआ की बढ़ोतरी होगी तो आगे आने वाले समय में खेत में वह खुद वर्मी कम्पोस्ट पैदा करते रहेंगे। तब किसानों को ज्यादा खाद के प्रयोग की जरूरत नहीं रहेगी।

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केंचुआ खाद में हर तत्व मौजूद

औरैया : अपर जिला कृषि अधिकारी जागेश्वर यादव बताते हैं कि केंचुआ खाद से भूमि को भरपूर जीवाश्म मिलता है। इसमें 1.5 प्रतिशत नत्रजन, इतना ही फास्फोरस व पोटाश पाया जाता है। यही नहीं आयरन, बोरान, जिंक, मालीवेडनम आदि पदार्थ भी प्रचुर मात्रा में उपलब्ध होते हैं, जिससे जमीन में बिना किसी रासायनिक खाद का उपयोग किए उर्वरा शक्ति बढ़ जाती है।

 

 साभार जागरण