कश्मीर की वादियों के किसानो की समस्यायें होगी दूर केन्द्र करेगा आँकलन

कश्मीर की वादियों के किसानो की समस्यायें होगी दूर केन्द्र  करेगा आँकलन

रियासत में अब कृषि गणना की की जाएगी। यह अभियान पूरे राज्य में जुलाई के पहले सप्ताह से चलेगा। दसवीं कृषि गणना में कृषि संबंधी आंकड़े जुटाए जाएंगे। इसमें प्रत्येक गांव, ब्लाक, तहसील और राज्य स्तर पर कृषि योग्य भूमि, संसाधनों तथा अन्य का ब्योरा इकट्ठा होगा। कृषि गणना के तहत पूरी रियासत में सर्वे होगा। इसमें विभिन्न कैटेगरी के आधार पर भूमि का आंकड़ा लिया जाएगा। मसलन मामूली भूमि, छोटे, मध्यम तथा बड़े खेत। यह जानकारी सामाजिक आधार पर भी ली जाएगी। यह पता लगाया जाएगा कि अनुसूचित जाति तथा अनुसूचित जनजाति के पास विभिन्न कैटेगरी में कितनी भूमि है। साथ ही महिला और पुरुष के आधार पर भी डाटा एकत्रित होगा। खेती में उपयोग होने वाले संसाधनों तथा फसल का रकबा भी लिया जाएगा। यह पता लगाया जाएगा कि प्रति व्यक्ति कितनी कृषि योग्य भूमि है। साथ ही कृषि भूमि का रकबा कितना घटा है। मसलन निर्माण कार्य तथा अन्य में कितनी भूमि का इस्तेमाल किया गया है। हर पांच साल पर हीती है गणना सिंचाई के साधन, बहु फसली खेती, खाद और पेस्टीसाइड का इस्तेमाल, पशुधन के बारे में जानकारी, बीज की उपलब्धता आदि के बारे में भी जानकारी जुटाई जाएगी। देश में 1970-71 में पहली कृषि गणना हुई थी। यह हर पांच साल पर किया जाता है। पिछली बार 2010-11 में यह गणना की गई थी। अब दसवीं गणना की जा रही है। पिछली गणना में रियासत में खेती करने वालों की संख्या तो 5.20 प्रतिशत बढ़ी थी, लेकिन कृषि क्षेत्र में 2.94 फीसदी की कमी आई थी। यहां औसतन 0.62 हेक्टेयर भूमि प्रति किसान के पास है।