फसल उत्पादन के लिये संतुलित पोषक तत्व एवं उनका प्रबंधन

फसल उत्पादन  के लिये संतुलित  पोषक तत्व एवं उनका प्रबंधन

संतुलित पोषक तत्व का अर्थ समझने के लिये पहले पोषक तत्व के बारे में जानना जरूरी है । पौधों के लिए पोषक तत्व उसे कहते हैं जिसकी अनुपस्थिति  में उनका जीवन - चक्र पूरा नहीं होता है, अर्थात बीज बोने से लेकर पुनः बीज प्राप्त करने तक अगर कोई एक भी आवश्यक पोषक तत्व मिट्टी में अनुपस्थित हो जाय तो पौधों का जीवन-चक्र पूरा नहीं होगा । पौधों के लिये 17 आवश्यक पोषक तत्व हैं । वे है : कार्बन, आक्सीजन,  हाइड्रोजन, नाइट्रोजन, फास्फोरस,  पोटाशियम,  कैल्सियम, मैग्नेशियम, सल्फर, लोहा, जस्ता, मैंगनीज, तांबा, मोलिब्डेनम,  बोरोन, क्लोरीन एवं कोबाल्ट । सभी तत्वों का पौधों के जीवन में अलग-अलग कार्य हैं । अगर जीवित पौधे को जाँचे तो हम पायेगें कि करीब 94 प्रतिशत भाग में सिर्फ कार्बन, आक्सीजन एवं हाइड्रोजन है और 6 प्रतिशत में बाकी तत्व हैं । अब हमें यह जानना जरूरी है कि कौन सा तत्व पौधा को कहाँ से प्राप्त होता है कार्बन हवा से कार्बन डाईआक्साइड  के रूप में पौधों पत्तियों द्वारा लेती है । आक्सीजन एवं हाइड्रोजन पानी से प्राप्त करते है ।

शेष तत्व पौधे मिट्टी से प्राप्त करते हैं । आपकों यह भी जानना जरूरी है कि कौन सा तत्व किस मात्रा में पौधे ग्रहण करते है । नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटाशियम की पौधे को अधिक मात्रा में जरूरत होती है । कैल्सियम, मैग्नेशियम एवं सल्फर की कुछ कम मात्रा में जरूरत होती है । इसके बाद बाकी 8 तत्व बहुत ही कम मात्रा में पौधे को चाहिये । इसीलिये इ न 8 तत्वों को सूक्ष्म तत्व कहते हैं । मिट्टी से जितने भी पोषक तत्व पौधे प्राप्त करते हैं, उन तत्वों का मिट्टी में प्रर्याप्त एवं संतुलित मात्रा में विद्यमान होना अत्यन्त आवश्यक है ।जिससे पौधे जरूरत के अनुसार प्राप्त कर सकें ।कुछ तत्व ऐसे हैं जो फसल विशेष के लिये पौधे को अधिक मात्रा में जरूरी है । जैसे - कैल्सियम एवं फास्फोरस दलहनी फसलों के लिये, तेलहनी फसलों के लिये सल्फर, प्याज एवं आलू के लिये पोटाशियम, एवं बोरोन फूलगोभी के लिये । यहाँ के मिट्टीयों में नाइट्रोजन की काफी कमी है । अधिक गर्मी पड़ने के कारण मिट्टी के जैविक पदार्थ नष्ट हो जाते हैं जिससे नाइट्रो जन की काफी कमी हो जाती है। अम्लीय मिट्टी होने के कारण उपलब्ध फास्फोरस की कमी हो जाती है । पहले पौटाशियम की कमी नहीं थी, परन्तु अधिक उपज देने वाली फसल उगाने से उसकी भी कमी कहीं-कहीं पाई गई है । अतः पौधे को जिस मात्रा में जिन तत्वों की जरूरत है, वह मात्रा पौधे को उपलब्ध हो जाय तो यही संतुलित पोषक तत्व होगा । भिन्न- भिन्न फसलों के लिये संतुलित पोषक तत्वों की भिन्न-भिन्न मात्रा होती है । कभी-कभी ऐसा भी होता है कि कोई तत्व जरूरत से अधिक खेत में डाला जाता है, तो दूसरे तत्वों की पौधों को कमी हो जातीहै । भले ही वह तत्व मिट्टी में प्रचुर मात्रा में मौजूद हो । जैसे अगर फास्फोरस जरूरत से काफी अधिक खेत में डालेगें तो पौधे को जस्ता की कमी हो जायगी ।

संतुलित पोषक तत्व का प्रबंधन

पौधों को 94 प्रतिशत पोषक तत्वों की पूर्ति हवा और पानी से होती है। सिर्फ 6 प्रतिशत पोषक तत्वों को पूर्ति के लिये बड़े-बड़े कारखाने खोले गये हैं । संतुलित पोषक तत्वों के प्रबंधन के लिये सबसे जरूरी चीज है मिट्टी की जाँच । मिट्टी के जाँच से हमें पता चलता है कि कौन-सा तत्व किस मात्रा में मिट्टी में मौजूद है । अब फसल के अनुसार हमें ज्ञात करना होता है कि कौन-सा तत्व किस  मात्रा में मिट्टी में डाला जाय जिससे हमें अच्छी फसल प्राप्त हो । इसके लिये काफी अनुसंधान हो चुका है और आगे भी अनुसंधान की जरूरत है । अभी तक धान, गेहूँ, मकई इत्यादि फसलों पर काम हो चुका है । अनुसंधान से कुछ समीकरण बनाये गये हैं। जिससे मिट्टी में मौजूद पोषक तत्वों के हिसाब से उपर से डाले जाने वाले पोषक तत्वों की सही मात्रा निकाली जा सकती है । इसके लिये हमें फसल की उपज का लक्ष्य तय करना होता है अर्थात्‌ अधिक उपज तो अधिक खाद, कम उपज तो कम खाद । अब हमें यह मालूम होना चाहिये कि कौन-से तत्व की पूर्ति कस खाद से करेंगें । नाइट्रोजन की पूर्ति यूरिया, अमोनिया सल्फेट, कैल्सियम       अमोनियम, नाइट्रेट इत्यादि खाद से करते हैं । फास्फोरस की पूर्ति सिंगल सुपर फास्फेट तथा रॉक फास्फेट से करते हैं । पोटाशियम की पूर्ति म्यूरेट आफ पोटाश एवं सल्फेट आफ पोटाश से करते हैं । सल्फर की पूर्ति फास्फोजिप्सम  या तत्वीय सल्फर से कर सकते हैं । बोरोन की पूर्ति बोरेक्स या सुहागा से कर सकते हैं । इसी तरह अन्य पोषक तत्वों की पूर्ति उनके कई तरह के यौगिकों से कर सकते हैं।

 

कुछ प्राकृतिक साधन हैं जिससे कि हम पौधों को पोषक तत्वों की पूर्ति करते हैं । जैसे दलहनी फसलों में नाइट्रोजन के लिये राइजोबियम खाद, मकई में जोटोबैक्टर कल्चर एवं धान में नील हरित शैवाल कल्चर से कर सकते हैं । हरी खाद, गोबर खाद एवं खल्ली से आवश्यक पोषक तत्वों की पूर्ति कर सकते है ।