रंगों से पहचानें कीटनाशक की तेजी

 खेती में अधिक उत्पादन के लिए किसान अधिक रसायनों का प्रयोग करते हैं। फसलों के कम पैदावार के कई कारणों में से कीट, बीमारियां एवं खरपतवार प्रमुख हैं। अधिक उत्पादन लेने हेतु बुवाई से पूर्व बीजोपचार तथा बुवाई के बाद कीट नियन्त्रण एवं समय-समय पर बीमारियों से बचाव हेतु विभिन्न रासायनिक दवाओं का प्रयोग किया जाता है, जिनमें से अधिकतर रसायन बहुत जहरीले होते हैं।

कीटनाशक के पैकेट के पीछे की तरफ अलग-अलग तरह के रंग छपे होते हैं। यह रंग कीटनाशक रसायन की तेजी के बारे में कई जानकारी देते हैं। इन रंगों से किसान यह पता लगा सकते हैं कि कीटनाशक कितना घातक है। कीटनाशक की तीव्रता के लिए चार रंग चुने गए हैं, जिनके आधार पर इन्हें चार श्रोणियों में बांटा गया है। लाल निशान वाले कीटनाशी की अपेक्षा पीले रंग के निशान वाले कम और पीले रंग की अपेक्षा नीले रंग के निशान वाले कीटनाशी कम नुकसान पहुंचाते हैं तथा सबसे कम नुकसान हरे रंग के कीटनाशी से होता है।

लाल रंग
यह रंग जहर की तेजी नापने वाले स्केल पर सबसे तेज माना जाता है। जिस कीटनाशक पैकेट के पीछे लाल रंग हो वह सबसे तेज कीटनाशक रसायन की कैटेगरी में शामिल होता है। इस तेजी का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि इस जहर की सिर्फ 1-50 मिली ग्राम मात्रा किसी जानवर को प्रति किलो वजन के हिसाब से देने की सलाह दी जाती है।

पीला रंग
यह रंग जहर की तेजी नापने वाले स्केल पर दूसरे स्तर का खतरा दर्शाते हैं। इसकी कितनी मात्रा का प्रयोग करना चाहिए पैकेट पर लिखा होता है।

नीला रंग
यह मध्यम तेजी को दर्शाने वाला रंग होता है।

हरा रंग
यह सबसे कम तेजी वाले कीटनाशक रसायन होता है। रसायन की तेजी वाले स्केल पर यह सबसे कम तेजी वाला कीटनाशक होते हैं।
जितनी कीटनाशकों के प्रयोग की आवश्यकता होती है उतनी ही सावधानी बरतने की जरूरत होती है। यदि इनका सही से इस्तेमाल न किया गया तो यह मनुष्य एवं अन्य जीव-जंतुओं के  लिए घातक हो सकते हैं। इसलिए इनका सावधानी पूर्वक इस्तेमाल करना चाहिए और उन पर लिखे निर्देशों का पालन करना चाहिए।

सावधानी से करें कीटनाशकों का इस्तेमाल

  • कीटों की अच्छी तरह पहचान कर लेनी चाहिए। यदि पहचान संभव न हो तो स्थानीय स्तर पर उपस्थित कीट वैज्ञानिक से कीट की पहचान कराकर ही कीटनाशक खरीदना चाहिए।
  • कीटनाशक का प्रयोग तभी करना चाहिए जब कीट की आर्थिक क्षति स्तर सीमा अधिक बढ़ गयी हो।
  • कीटनाशकों की विषाक्तता को प्रदर्शित करने के लिए कीटनाशकों के डिब्बों पर तिकोने आकार का हरा या नीला या पीला अथवा लाल रंग का निशान बना होता है। लाल निशान वालेकीटनाशी स्तनधारियों पर सबसे ज्यादा नुकसान करते हैं।
  • कीटनाशक खरीदते समय हमेशा उसके बनने की तिथि, उपयोग करने की अन्तिम तिथि देखना एवं बिल लेना न भूलें।
  • कीटनाशकों पर लगे लेवल तथा उसके साथ मिलने वाली विवरणिका में दिये निर्देशों को अवश्य पढऩा चाहिए तथा उसमें दी गई चेतावनी का पालन करना चाहिए।
  • कीटनाशकों का भण्डारण हमेशा साफ -सुथरी, हवादार और सूखे स्थान पर करना चाहिए।
    यदि घोल बनाते समय हवा चल रही हो, तो हवा के खिलाफ मुंह करके नहीं खड़े होना चाहिए।
  • एक से अधिक कीटनाशकों को मिलाकर घोल नहीं बनाना चाहिए।

 राजीव कुमार 
वैज्ञानिक सहायक, केंद्रीय एकीकृत नाशीजीव प्रबंधन केंद्र, लखनऊ