पिस्ता

पिस्ता एक प्रकार का मेवा है। ड्राइ फ्रूट्स के रूप में इस्तेमाल होने वाला पिस्ता न केवल एक बेहतर स्नैक है, बल्कि यह स्वास्थ्य के लिए भी लाभदायक है। एक ताजा अध्ययन के अनुसार इसका नियमित सेवन शरीर में कार्बोहाइड्रेट की मात्रा को नियंत्रित कर ब्लड में शुगर के लेवल को घटाता है।
टोरंटो यूनिवर्सिटी की ओर से किए गए अध्ययन की रिपोर्ट के मुताबिक "पिस्ता को कार्बोहाइड्रेट युक्त खाद पदार्थ जैसे व्हाइट ब्रेड के साथ खाने से शरीर में कार्बोहाइट्रेड की अधिक मात्रा नहीं पहुंचती और जिसके कारण खून में शर्करा का स्तर नहीं बढ़ पाता।" शोधकर्ताओं के अनुसार भारत जैसे देश जहां लगभग चार करोड़ लोग डाइबिटीज के शिकार हैं और वर्ष 2025 तक इसके आठ करोड़ तक के आंकड़े को पार करने की आशंका है, पिस्ता का सेवन डाइबिटीज के मरीजों की संख्या को नियंत्रित कर सकता है।
इस शोध का नेतृत्व करने वाले शोधकर्ता सिरील केनडॉल का कहना है कि "डाइबिटीज के इलाज और बचाव के लिए ब्लड में ग्लुकोज के स्तर को नियंत्रित करना जरूरी है। आमतौर पर खून में शुगर का लेवल कार्बोहाइड्रेट की अधिकता से बढ़ता है। हमने जो अध्ययन किया है, उसके प्रारंभिक परिणामों से स्पष्ट है कि पिस्ता का सेवन शरीर में कार्बोहाइड्रेट की मात्रा को बढ़ने नहीं देता और परिणामस्वरूप खून में शर्करा का मात्रा नियंत्रित रहती है।" इसके साथ ही अध्ययन में पता चला है कि पिस्ता भूख को उत्तेजित करने वाले हार्मोन को भी नियंत्रित करता है, जिससे लंबे समय तक डाइबिटीज से बचाव संभव है। गौरतलब है कि अत्याधिक भोजन करने से भी शरीर में कार्बोहाइड्रेट की मात्रा बढ़ती है और यह डाइबिटीज को का सबसे बड़ा कारण है।

पिस्ता की खेती

आवश्यक जलवायु

पिस्ता की फसल के लिए मौसम की स्थिति बेहद अहम तत्व है। पिस्ता के बादाम को दिन का तापमान 36 डिग्री सेटीग्रेड से ज्यादा चाहिए। वहीं, ठंड के महीने में 7 डिग्री सेंटीग्रेड तापमान उनके शिथिल अवधि के लिए पर्याप्त है। इसके पेड़ ज्यादा ऊंचाई वाली जगहों पर ठंडे तापमान की वजह से अच्छी तरह बढ़ नहीं पाते हैं। भारत में पिस्ता के नट्स यानी बादाम को बढ़ने के लिए जम्मू-कश्मीर प्राकृतिक जगह है। पिस्ता के लिए आवश्यक

मिट्टी