जुलाई माह में फसल उत्पादन हेतु आवश्यक कार्य

जुलाई माह में धान की सभी प्रजातियों की रोपाई पूर्ण कर लें। रोपाई के लिये 21 दिन की पौध सर्वोत्तम रहती है। पौध को 3-4 सेंटीमीटर भरे हुये पानी में सावधानी से उखाड़ें और गड्डी बांधकर जड़ों को पानी में डुबोकर रक्खें। पौध को उखाड़ने के बाद जितनी जल्दी सम्भव हो उसकी रोपाई कर दें। रोपाई के लिये 20 सेंटीमीटर लाइन से लाइन तथा 15 सेंटीमीटर पौधे से पौधे की दूरी रखते हुये एक स्थान पर 2 स्वस्थ पौधों की रोपाई करें।

अधिक उपज देने वाली प्रजातियों में 120-150 किलोग्राम नत्रजन, 60 किलोग्राम फॉसफोरस तथा 40 किलोग्राम पोटाश तथा सुगंधित धान में 80-100 किलोग्राम नत्रजन, 60 किलोग्राम फॉसफोरस तथा 40 किलोग्राम पोटाश का प्रयोग करें। फॉसफोरस व पोटाश की पूरी मात्रा का प्रयोग रोपाई से पूर्व करें, नत्रजन की एक तिहाई मात्र का प्रयोग रोपाई के एक सप्ताह पश्चात करें।

रोपाई के बाद खरपतवार तथा पोषक तत्व प्रबन्धन के लिये कम पानी की अवस्था में ब्राउन मल्चिंग के लिये ढेंचा का बीज या अधिक पानी की अवस्था में नील-हरित शैवाल का प्रयोग कर सकते हैं। रसायनिक विधि से खरपतवार नियन्त्रण के लिये रोपाई के 72 घण्टे के भीतर प्रेटिलाक्लोर 50 ई॰सी॰ 1.5 लीटर या एनिलोफॉस 30 ई॰सी॰ 1.65 लीटर मात्रा /हेक्टेयर की दर से प्रयोग कर अच्छे परिणामों के लिये खेत में 48-72 घण्टे पानी भरा रखना चाहिये। धान की खड़ी फसल में रोपाई के 15 से 25 दिन (खरपतवार की 3-5 पत्ती तथा 5-7 सेंटीमीटर ऊँचाई) की अवस्था पर पर बिस्पायरीबैक सोडियम 10% एस॰सी॰ 100-120 मिलीलीटर रसायन 120 लीटर पानी में घोलकर /एकड़ की दर से छिड़काव करें।

ज्वार की बुवाई जुलाई के प्रथम सप्ताह तक 12-15 किलोग्राम बीज/हेक्टेयर की दर से 45X15-20 सेंटीमीटर की दूरी पर अवश्य पूरी कर लें। बुवाई के 20 से 25 दिन बाद निराई गुड़ाई करके लाइनों में पौधों की आपसी दूरी 15-20 सेंटीमीटर कर दें।

मक्का की पहली निराई 15-20 दिन पर कर दें। पहली निराई के समय विरलीकरण कर लाइन में पौधों की आपसी दूरी 25 सेंटीमीटर कर दें। नत्रजन की शेष मात्रा का आधा भाग निराई के बाद 25-30 दिन की अवस्था पर प्रयोग करें।

बाजरा की बुवाई 4-5 किलोग्राम/हेक्टेयर की दर से 45 सेंटीमीटर की दूरी पर लाइनों में जुलाई के दूसरे या तीसरे सप्ताह तक अवश्य पूरी कर लें। संकर प्रजातियों के लिये एन॰:पी॰:के॰ की मात्रा 80-100:40:40 तथा देशी प्रजातियों के लिये 50-60:30:30 किलोग्राम/हेक्टेयर रखते हुये नत्रजन की आधी, फॉसफोरस तथा पोटाश की पूरी मात्रा बुवाई के समय प्रयोग करें।

मूँगफली की बुवाई जुलाई के मध्य तक पूरी कर लें। कम फैलने वाली प्रजातियों में लाइन से लाइन की दूरी 45 सेंटीमीटर (60-80 किलोग्राम बीज/हेक्टेयर), गुच्छेदार प्रजातियों में लाइन से लाइन की दूरी 30 सेंटीमीटर (80-100 किलोग्राम बीज/हेक्टेयर) तथा पौधे से पौधा 15-20 सेंटीमीटर रखकर बुवाई करें। बुवाई के समय 20-25 किलोग्राम नत्रजन, 40-60 किलोग्राम फॉसफोरस, 30-40 किलोग्राम पोटाश तथा 200-250 किलोग्राम जिप्सम /हेक्टेयर का प्रयोग करें।

तिल की बुवाई 4 किलोग्राम/हेक्टेयर बीज की दर से 30-40 सेंटीमीटर की दूरी पर लाइनों में तथा 2-3 सेंटीमीटर की गहराई पर जुलाई के पूरे महीने कर सकते हैं।

सोयाबीन की बुवाई जुलाई के प्रथम सप्ताह तक 75-80 किलोग्राम बीज/हेक्टेयर की दर से 45X30 सेंटीमीटर की दूरी पर तथा 4-5 सेंटीमीटर की गहराई पर अवश्य कर लें।

मूंग की समय से पकने वाली प्रजातियों की बुवाई जुलाई के अंतिम सप्ताह से अगस्त के तीसरे सप्ताह तक तथा उर्द की शीघ्र पकने वाली प्रजातियों की बुवाई मध्य जुलाई से अगस्त के प्रथम सप्ताह तक अवश्य कर देनी चाहिये। मूंग व उर्द की बीज दर 12-15 किलोग्राम/हेक्टेयर तथा लाइनों की दूरी 30-45 सेंटीमीटर रखनी चाहिये।

अरहर की देर से पकने वाली प्रजातियों (लगभग 270 दिन) की बुवाई 60 से 90 सेंटीमीटर की दूरी पर लाइनों में 15 किलोग्राम बीज /हेक्टेयर की बीजदर से जुलाई के पूरे माह में कर सकते हैं।

गन्ने में खरपतवार नियन्त्रण हेतु खुदाई करके लाइनों पर मिट्टी चढ़ा दें तथा आवश्यकतानुसार सिंचाई कर दें। खेत में जलभराव होने की स्थिति में जल निकासी की व्यवस्था करें। माह के मध्य में भूमि सतह से 1.5 मीटर ऊँचाई पर गन्ने की पहली बँधाई करें तथा सूखे हुये पत्तों की छटाई कर दें। चोटीबेधक या तनाबेधक कीट के नियन्त्रण के लिये 50,000 ट्राइकोग्रामा कीट के अंडे /हेक्टेयर की दर से हर 12-15 दिन के अंतराल पर खेत में रोपित करें। रसायनिक नियन्त्रण के लिये खेत में पर्याप्त नमी की अवस्था में क्लोरेंट्रेनिलिप्रोले 18.5 एस॰सी॰ 500-600 मिलीलीटर या फिप्रोनिल 2.0 लीटर मात्रा/हेक्टेयर का छिड़काव या थिमेट 10 जी॰ 33 किलोग्राम/हेक्टेयर की दर से जून के अन्तिम सप्ताह से जुलाई के प्रथम सप्ताह तक गन्ने की जड़ के पास प्रातः 10 बजे से पूर्व बुरकाव करें।

चारे के लिये 60 सेंटीमीटर की दूरी पर मेढ़ बनाकर उसपर दोनों तरफ जिग-जैग विधि से नेपियर के दो गाँठ के टुकड़े रोपित करें। इसके लिये प्रति एकड़ लगभग 22,000 दो गाँठ के टुकड़ों की आवश्यकता होगी। चारे के लिये 30-40 किलोग्राम/हेक्टेयर की दर से लोबिया की बुवाई भी की जा सकती है। चारे की अन्य फसलें जैसे मक्का, ज्वार, बाजरा, मकचरी आदि की बुवाई भी जुलाई माह में कर सकते हैं।

डॉ आर के सिंह
अध्यक्ष कृषि विज्ञान केन्द्र
बरेली
भारतीय पशु अनसुंधान संस्थान

जैविक खेती: