घाटे की खेती से मुक्त होंगे किसान

जल्दी ही कुछ बड़ी परियोजनाएं शुरू करेगी। हर खेत तक सिंचाई का पानी पहुंचाने और किसानों को लाभ की गारंटी दिलाने वाली योजनाओं का खाका पहले से ही तैयार है। कृषि मंत्रालय इस पर जल्दी ही काम चालू कर देगा। नए कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह ने पदभार ग्रहण करने के बाद 'नईदुनिया के सहयोगी प्रकाशन "दैनिक जागरण" से बातचीत में खेती की विकास दर को नई ऊंचाई तक पहुंचाने का दावा किया।

कृषि मंत्रालय में कामकाज संभालने के साथ ही सिंह ने अधिकारियों को अपनी मंशा से अवगत कराते हुए काम शुरू करने संकेत दे दिया। कृषि मंत्री ने कहा कि उनकी सरकार अपने चुनावी वादे के तहत प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना की तर्ज पर प्रधानमंत्री ग्रामीण सिंचाई योजना शुरू करेगी। इसकी रूपरेखा विभिन्न मंत्रालयों के सहयोग से तैयार की जाएगी। सिंचाई की सुविधा मिल जाने से कृषि उत्पादकता में वृद्धि होनी तय है। फिलहाल देश की दो तिहाई जमीन में असिंचित खेती होती है।

कृषि मंत्री ने कहा कि खेती में लाभ की गारंटी देने वाली बीमा योजना से किसानों की दशा तो सुधरेगी ही, उनकी खोई प्रतिष्ठा भी लौटेगी। अन्नदाताओं की दरिद्रता से ही देश का बुरा हाल है। ऐसी ही प्रायोगिक परियोजना वर्ष 2003 में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में शुरू हुई थी, जिसे आगे बढ़ाना है। इस योजना से किसानों को दैवीय प्रकोप से होने वाले नुकसान की भरपाई की गारंटी होगी।

मानसून के कमजोर होने के पूर्वानुमान पर कृषि मंत्री ने कहा कि कृषि मंत्रालय की तैयारियां पूरी हो चुकी हैं। राज्य स्तर पर आला अफसर दौरा कर जायजा ले रहे हैं। खेती के साथ पशुधन विकास पर भी सरकार पूरा ध्यान देगी। देसी नस्ल की गायों के विकास की योजना शुरू की जाएगी। हमारी परंपरागत नस्लों पर दुनिया के विकसित देश अनुसंधान कर उन्हें उन्नत बनाकर लाभ उठा रहे हैं।

कृषि शिक्षा के स्तर पर असंतोष जताते हुए सिंह ने कहा कि राष्ट्रीय स्तर पर सिर्फ एक केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय है, जबकि बुंदेलखंड में दूसरा विश्वविद्यालय शुरू होने वाला है। यह संख्या बहुत कम है। इसे बढ़ाने की जरूरत है। इसके अलावा फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी एमएसपी का भी सवाल है। खरीफ फसलों के लिए फिलहाल तो पुरानी प्रणाली पर ही समर्थन मूल्य घोषित किए जाएंगे, लेकिन अगले चरण में प्रणाली में आमूलचूल परिवर्तन किया जाएगा।

साभार नई दुनिया जागरण