गुजिया से बचाने को आम के तने में बांधे पॉलिथीन

 आम के पेड़ों के लिए बौर आने का समय सबसे अहम होता है। अगर ऐसे में किसी कीट या रोग का हमला होता है तो पेड़ के उस हिस्से में फल नहीं आते। यह कहना है केंद्रीय एकीकृत नाशीजीव प्रबंधन केंद्र, लखनऊ के प्रमुख डॉ उमेश कुमार का।

डॉ उमेश ने बताया, ”इन कीटों से ज्यादातर नुकसान उन बगों में होता है जिनकी किसान ज्य़ादा देख-रेख नहीं करते हैं। ज्यादातर कीटों या रोगों की जब शुरुआत होती है, तो सचेत किसान जल्दी इसके लक्ष्ण पहचान कर इसका इलाज करते हैं और फसल को बड़ा नुकसान नहीं हो पाता है।”

एकीकृत केंद्र के अन्य वैज्ञानिक डॉ प्रदीप के मुताबिक इस समयआम के वृक्षों पर गुजिया (मिली बग) के उपचार के लिए आम के तने के चारो ओर गहरी जुताई करने की सलाह और तने पर 400 गेज की पालीथीन की 25 सेमी चैड़ी पटरी बाधें और पटरी के ऊपर तथा निचले किनारे को सुतली से बांधकर निचले सिरे पर ग्रीस लगाकर सील कर दें।

 आम के पेड़ों के लिए बौर आने का समय सबसे अहम होता है। अगर ऐसे में किसी कीट या रोग का हमला होता है तो पेड़ के उस हिस्से में फल नहीं आते। यह कहना है केंद्रीय एकीकृत नाशीजीव प्रबंधन केंद्र, लखनऊ के प्रमुख डॉ उमेश कुमार का।

डॉ उमेश ने बताया, ”इन कीटों से ज्यादातर नुकसान उन बगों में होता है जिनकी किसान ज्य़ादा देख-रेख नहीं करते हैं। ज्यादातर कीटों या रोगों की जब शुरुआत होती है, तो सचेत किसान जल्दी इसके लक्ष्ण पहचान कर इसका इलाज करते हैं और फसल को बड़ा नुकसान नहीं हो पाता है।”

एकीकृत केंद्र के अन्य वैज्ञानिक डॉ प्रदीप के मुताबिक इस समयआम के वृक्षों पर गुजिया (मिली बग) के उपचार के लिए आम के तने के चारो ओर गहरी जुताई करने की सलाह और तने पर 400 गेज की पालीथीन की 25 सेमी चैड़ी पटरी बाधें और पटरी के ऊपर तथा निचले किनारे को सुतली से बांधकर निचले सिरे पर ग्रीस लगाकर सील कर दें।

Gaon Connection