मेंथा

मेंथा में आने वाले रोग व् कीट उनकी रोकथाम

बढ़ते तापमान में मेंथा की खेती को सिंचाई की जरूरत ज्यादा होती है.  किसानों को समय पर सिंचाई करनी चाहिए, जहां दिन में तेज धूप हो, सुझाव यही है कि किसान शाम के समय खेतों में पानी लगाएं.फसल प्रबंधन के तहत कीट और रोग से भी फसल को बचाना है. ऐसा इसलिए क्योंकि मेंथा में कई तरह के कीट और रोग फसल को नुकसान पहुंचाते हैं जिससे किसान को कम उत्पादन के साथ नुकसान हो सकता है. आज हम आपको मेंथा (menthe farming) की खेती में लगने वाले कीट और रोगों के बारे में बताने जा रहे हैं.

माहू

मेंथा की नई तकनीक से मिलेगा कम समय में अधिक उत्पादन

कुछ कारक मेंथा की उत्पादकता पर विपरीत प्रभाव डालते हैं। जैसे- फसल उत्पादन के लिए समय का आभाव, दूसरी कटाई की कम सम्भावनाएं और कम उत्पादकता, फसल की अधिक पानी की आवश्यकता, खरपतवार की समस्या और नियंत्रण पर अधिक खर्च।
इन कारकों को दूर करने के लिए सीमैप (केन्द्रीय औषधीय एवं सगंध पौधा संस्थान) ने अगेती मिंट का विकास किया है, जिससे किसानों को कम समय में अधिक उत्पादन मिलता है।