टमाटर की खेती भी आजमायें किसान

सब्जियों में टमाटर का प्रमुख स्थान है। इसके फलों को विभिन्न प्रकार से उपयोग में लिया जाता है। इसकी खेती वर्ष भर की जा सकती है। टमाटर में विटामिन ‘ए’ ‘सी’ की मात्रा अधिक होती है। इसका उपयोग ताजा फल के रूप में तथा उन्हें पकाकर डिब्बाबंदी करके, अचार, चटनी, सूप, केचप सॉस आदि बनाकर भी किया जाता है। टमाटर में लाल रंग लाइकोपीन नामक पदार्थ से होता है जिसे दुनिया का प्रमुख एन्टिऑक्सीडेन्ट माना गया है।

जलवायु एवं भूमि (Climate & Soil for tomato cultivation) :टमाटर की अच्छी पैदावार में तापक्रम का  बहुत बड़ा योगदान होता है। टमाटर की फसल के लिए आदर्श तापमान 20-25 सेन्टीग्रेड होता है। यदि तापमान 43 सेंटीग्रेड हो जाये तो फूल तथा अपरिपक्व फल गिरने लगते है और यदि तापमान 13 सेन्टीग्रेड से कम तथा 35 सेन्टीग्रेड से अधिक होने पर फल कम आते है। क्योंकी इस तापमान में पराग का अंकुरण बहुत कम होता है, जिससे फलों का स्वरूप भी बिगड़ जाता है।

उन्नत किस्में (Improved varieties):पूसा रूबी, पूसा अर्ली ड्वार्फ, पूसा 120, मारग्लोब, पंजाब छुआरा, सलेक्शन-120, पंत बहार, अर्का विकास, हिसार अरूणा (सलेक्शन-7), एम टी एच 6, एच एस 101, सी ओ 3, सलेक्शन-152, पंजाब केसरी, पंत टी-1

नर्सरी तैयार करना (Tomato Nursery raising):नर्सरी के लिए एक मीटर चौड़ी व 3 मीटर लम्बी, 10 से 15 सेमी ऊँची क्यारियाँ बनाई जानी चाहिए। बीजों को बुवाई से पूर्व 2 ग्राम केप्टान प्रति किलो बीज की दर से उपचारित करना चाहिए। गर्मी की फसल के लिए दिसम्बर-जनवरी में तथा सर्दी की फसल के लिए सितम्बर माह में बुवाई करें। एक हैक्टेयर में पौध रोपण हेतु  400 से 500 ग्राम बीज तथा संकर किस्मों के लिए 150 से 200 ग्राम बीज प्रति हैक्टेयर उपयुक्त रहती है। नर्सरी में पौधों को कीड़ों के प्रकोप से बचाने के लिए मोनोक्रोटोफॉस 36 एस एल एक मिलीलीटर तथा साथ में जाइनेब या मेन्कोजेब 2 ग्राम प्रति लीटर पानी के हिसाब से घोल बनाकर छिड़काव करें। ड्रिप सिंचाई विधि से अगर सिंचाई करनी हो तो पौध रोपण एक मीटर चौड़ी तथा 10-15 सेमी ऊॅंची क्यारी पर पौधें की रोपाई करनी चाहिए

रोपण (Transplanting):
मैदानी भागो(शरद ऋतू ) में बिज बुआई जुलाई -सितम्बर  और रोपण अगस्त -अक्तूबर में और मैदानी भाग (बसंत -ग्रीसम ऋतू ) में बिज बुआई नवम्बर -दिसम्बर में व् रोपण दिसंबर -जनवरी में होना चाहिए ! वहीँ पहाड़ी भागो में 
बिज बुआई मार्च-अप्रैल,रोपण अप्रेल – मई में करना चाहिए जब पौधे 10 से 15 सेमी लम्बे (चार से पाँच सप्ताह के) हो जाएं तो, इनका रोपण खेत में कर देना चाहिए। पौध की रोपाई खेत में शाम के समय 75 x 75 से मी दूरी पर वर्षा ऋतु की फसल के लिए तथा 50 x 30 से 45 सेमी की दूरी पर गर्मी के लिए करें। संकर किस्मों को खेत में 90 x 45 सेमी की दूरी पर लगावें एवं बढ़वार के समय लाईन के ऊपर लोहे के तार पर सूतली की सहायता से सहारा (स्टेकिंग) देवें।

खाद एवं उर्वरक (Fertilizer application):पौधों की रोपाई के एक माह पूर्व 150 क्विंटल पकी हुई गोबर की खाद खेत में डाल कर भली भाँति मिला देवें। पौध लगाने से पूर्व 60 किलो नत्रजन, 80 किलो फॉस्फोरस एवं 60 किलो पोटाश प्रति हैक्टर के हिसाब से खेत में ऊर देवें। पौधे लगाने के 30 दिन बाद 30 किलो नत्रजन की मात्रा खड़ी फसल में देकर सिंचाई करें। संकर किस्मों में 300 से 350 क्विंटल पकी हुई गोबर की खाद, 180 किलो नत्रजन,       120 किलो फॉस्फोरस एवं 80 किलो पोटाश प्रति हैक्टर की दर से देवें।

सिंचाई एवं निराई गुड़ाई (Irrigation):सर्दी में 8 से 10 दिन व गर्मी में 6 दिन के अंतराल से आवष्यकतानुसार सिंचाई करनी चाहिए। बून्द-बून्द सिंचाई से 60-70 प्रतिशत पानी की बचत के साथ-साथ 20-25 प्रतिशत उत्पादन अधिक प्राप्त किया जा सकता है। पौध लगाने के 20 से 25 दिन बाद प्रथम निराई-गुड़ाई करें।

कीट प्रबंध (Insect management):सफेद लट :- यह टमाटर की फसल को काफी नुकसान पहुँचाता है। इसका आक्रमण जड़ाें पर होता है। इसके प्रकोप से पौधे मर जाते हैं। नियंत्रण हेतु फोरेट 10 जी या कार्बोफ्यूरान 3 जी 20-25 किलो प्रति हैक्टर की दर से रोपाई से पूर्व कतारों में पौधों के पास डालें।कटवा लट :& इस कीट की लटें रात्रि में भूमि से बाहर निकल कर छोटे-छोटे पौधों को सतह के बराबर से काटकर गिरा देती हैं। दिन में मिट्टी के ढेलों के नीचे छिपी रहती हैं। नियंत्रण हेतु क्यूनॉलफॉस 1.5 प्रतिशत चूर्ण 20 से 25 किलो प्रति हैक्टर के हिसाब से भूमि में मिलावें।सफेद मक्खी, पर्णजीवी (थ्रिप्स) हरा तेला व मोयला -ये कीट पौधों की पत्तियों व कोमल शाखाओं का रस चूसकर कमजोर कर देते हैं। सफेद मक्खी टमाटर में विषाणु रोग फैलाती है। इनके प्रकोप से उपज पर प्रतिकुल प्रभाव पड़ता है। नियंत्रण हेतु डाइमिथोएट 30 ई सी या मैलाथियॉन 50 ई सी एक मिलीलीटर का प्रति लीटर पानी की दर से छिड़काव करें। आवश्यकता पड़ने पर यह छिड़काव 15 से 20 दिन बाद दोहरावें।

तुड़ाई एवं उपज (Harvesting & Yield):सर्दी की फसल में फल दिसम्बर में तुड़ाई हेतु तैयार हो जाते हैं तथा फरवरी तक चलते रहते हैं। खरीफ की फसल के फल सितम्बर से नवम्बर तक व गर्मी की फसल के फल अप्रैल से जून तक उपलब्ध होते हैं। टमाटर की औसत उपज 200 से 500 क्विंटल प्रति हैक्टर तक होती हैं। संकर किस्मों से 500 से 700 क्विंटल प्रति हैक्टर तक उपज प्राप्त की जा सकती हैं।