नाइट्रोजन प्राकृतिक तरीकें से कैसे काम करता है

विभिन्न परियोजनाओं के तहत देश के विभिन्न हिस्सों में किए गए मिट्टी यानि मृदा विश्लेषण से कम से कम 6 पोषक तत्वों- Nitrogen (नाइट्रोजन) , Phosphorus (फास्फोरस), Potash (पोटाश), Zinc (जिंक) और Boron (बोरॉन) की व्यापक कमी प्रदर्शित हुई। उत्तर-पश्चिमी भारत के चावल-गेहूँ उगाये जाने वाले क्षेत्रों में किए गये कुछ नैदानिक सर्वे से पता लगा कि किसान उपज स्तर को बनाये रखने के लिए, जिन्हें पहले कम उर्वरक उपयोग के जरिए भी हासिल कर लिया जाता था, अक्सर उचित दरों से ज्यादा नाइट्रोजन का उपयोग करते हैं।

नाइट्रोजन यह एक फसल को लगने वाला महत्वपूर्ण पोष्टिक तत्व  है |

नाइट्रोजन प्रकृति  में विविध रूपों में पाया जाता है | जैसे की वायु मंडल में (N2) वायु रूप में सबसे ज्यादा मात्रा में लगभग 78 % मौजूद है | लेकिन इस वायु रूप नाइट्रोजन का इस्तेमाल वनस्पति को नहीं मिल पाता  | वनस्पति में , RNA, DNA, अमीनो एसिड  और प्रोटीन निर्माण में नाइट्रोजन अहम भूमिका निभाता है | इसलिये नाइट्रोजन की कमी से फसल की उपज में भारी घट हो सकती है |

अगर आप नाइट्रोजन चक्र समझ जायेंगे तो ,रासायनिक खादों का उपयोग कम करके प्राकृतिक तरीके से मिट्टी में नाइट्रोजन का प्रमाण बढ़ा सकते है | इस वायु मंडल में उपलब्ध नाइट्रोजन वायु को सजीव के लिए उपलब्ध कराना और फिर से उसे नाइट्रोजन वायु के रूप में परिवर्तित कराना ,इसे नाइट्रोजन चक्र कहेंगे |

यह चक्र कई जैविक और भौतिक प्रक्रियां पर निर्भर है | हम जानते है की कुछ बातों से वायुमंडल में उपलब्ध नाइट्रोजन का बिजली से प्रक्रिया होकर ,बारिश के पानी के द्वारा पौधों को उपलब्ध होती है |

लेकिन ज्यादा से ज्यादातर नाइट्रोजन कुछ खास जीवाणुओं से राइजोबियम ( rhizobium ) पौधों को उपलब्ध होता है , इसे नाइट्रोजन Fixation कहते है | यह जीवाणु नाइट्रोजन को ammonium आयन के रूप में पौधों को उपलब्ध करवाते है | इसे वनस्पति अमीनो एसिड के रूप में उपयोग करते है | इस अवस्था में  नाइट्रोजन जैविक रूप में वनस्पति और प्राणी जगत में पाया जाता है |

वनस्पति या प्राणी अपनी best product में या जब वें अपनी जीवन यात्रा खत्म करते है, तो उस समय वे जैविक रूप में मौजूद नाइट्रोजन का कुछ बैक्टरिया और फंगस के माध्यम से पृथक्करण होकर अमोनिया में परिवर्तित होता है , इसे (amonification) अमोनिफिकेशन कहते है |

अमोनिफिकेशन से मिलने वाला अमोनिया और फिर से कुछ बैक्टरिया से (nitrobacter)परिवर्तित होकर nitrite और बाद में nitrate तैयार होता है ,इसे (naitrification) नाइत्रिफिकेषण कहते है |

इस पश्चात् कुछ जीवाणु से (psuedomonas) डीनाइत्रीफिकेशन होकर , नाइट्रोजन (N2) वायु तैयार होकर वातावरण में मिल जाता है और इस तरह से नाइट्रोजन चक्र पूरा होता है |

इन सब बातों से हम ये कह सकते है कि ,नाइट्रोजन स्थिरीकरण करने वाले जीवाणु से बीज उपचार और अधिकतम जैविक खादों का इस्तेमाल ,नाइट्रोजन चक्र की तंदुरस्ती बरक़रार रखता है |

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