नीम एक सर्वोत्तम कीटनाशक

प्रक्रति की एक अमूल्य देंन  है नीम नीम लोगों की दैनिक जिन्दगी में एक महत्वपूर्ण भूमिका रखता है नीम एक औषधि है और एक प्रभावशाली कीटनाशक भी आधुनिक जहरीले कीटनाशकों की तुलना में नीम एक सर्वोत्तम कीटनाशक है। अनाज के भंडारण, दीमकों से सुरक्षा से लेकर पेड़-पौधों की हर तरह की बीमारी में इसके विविध उपयोग आज भी लोग किया करते हैं। इस क्षेत्र में किसानों को यदि वैज्ञानिकों का सहयोग मिल जाए तो यह अकेला वृक्ष दुनिया भर के कीटनाशकों के कारखाने बंद करवा सकता है।

नीम एक तेजी से बढ़ने वाला सदाबहार पेड़ है, जो 15-20 मी (लगभग 50-65 फुट) की ऊंचाई तक पहुंच सकता है और कभी-कभी 35-40 मी (115-131 फुट) तक भी ऊंचा हो सकता है। नीम एक सदाबहार पेड़ है लेकिन गंभीर सूखे में इसकी अधिकतर या लगभग सभी पत्तियां झड़ जाती हैं। इसकी शाखाओं का प्रसार व्यापक होता है| तना अपेक्षाकृत सीधा और छोटा होता है और व्यास मे 1.2 मीटर तक पहुँच सकता है। इसकी छाल कठोर, विदरित (दरारयुक्त) या शल्कीय होती है और इसका रंग सफेद-धूसर या लाल, भूरा भी हो सकता है।

नीम के कीटनाशक गुणों का सबसे उज्जवल पहलू यह है कि यह सर्वथा हानिरहित है। आधुनिक कीटनाशक जब खेतों में डाले जाते हैं तो वे शत्रु कीटों के अलावा मित्र कीटों को भी मार डालते हैं जिससे प्राकृतिक असंतुलन पैदा होता है और कीटनाशकों की माँग लगातार बढ़ती जाती है। इसके अलावा आधुनिक कीटनाशकों के दीर्घजीवी होने के कारण आज सारी पृथ्वी और उसके जलस्रोत प्रदूषित हो चुके हैं। परंतु नीम ऐसा प्राकृतिक कीटनाशक है, जो अपना काम करने के बाद शीघ्र ही अपघटित हो जाता है तथा पृथ्वी की उर्वरता शक्ति बढ़ा देता है।

आधुनिकतम जानकारियों के अनुसार नीम की पत्तियों से निकाले गए कीटनाशकों से 300 किस्मों की कीट प्रजातियों को नियंत्रित किया जा सकता है। यही नहीं नीम उत्पादों से करीब एक दर्जन किस्म के हानिकारक सूत्र कृमियों एवं कुछ फफूंदियों को भी नियंत्रित किया जा सकता है। केवल भारत में ही 110 से अधिक ऐसी कीट प्रजातियाँ हैं जिनका नियंत्रण नीम से किया जाता सकता है। यह नीम के कीटनाशी गुणों का ही कमाल है कि भारतीय जड़ी-बूटियों एवं औषधिय पौधों में नीम पर सर्वाधिक पेटेंट किए गए हैं। अब तक नीम पर अमेरिका 54, जापान 59, इंग्लैंड 6 तथा भारत 36 उत्पाद एवं प्रक्रिया पेटेंट ले चुका है। इसके बावजूद दुनिया के अनेक देशों में नीम पर अनुसंधान जारी हैं। इसके गुणों को देखते हुए ही ऑस्टेलिया, अफ्रीका, कैरिबियाई द्वीप समूह, प्योर्टोरिको, वर्जिन द्वीप समूह तथा हाइती आदि देशों में नीम के वृक्ष बहुतायत से लगाए जा रहे हैं। भारत से नीम के पदार्थों का निर्यात लगातार बढ़ रहा है।

जैविक खेती में रासायनिक कीटनाशकों से तो परहेज किया जाता है। बदले में कंपोस्ट खाद, हरी खाद, नील हरित शैवाल एवं अन्य जैविक विधियों द्वारा जमीन की उर्वरा शक्ति बढ़ाई जाती है। पश्चिम के देशों में जैविक खेती द्वारा तैयार अनाज, फल और सब्जियों की भारी माँग है। हमारे देश में भी इस क्षेत्र में जागरुकता बढ़ रही है। देश में तो जैविक खेती एक आंदोलन का रूप ले रहा है।  सरकार का संरक्षण भी प्राप्त हो रहा है। सिक्किम देश का पहला जैविक राज्य बन चूका है मध्य प्रदेश में भी  जैविक खेती के लिए 313 ब्लॉकों का चयन किया गया है जिनमें 239 गाँवों में जैविक खेती शुरू भी हो गई है।  गुजरात बिहार राजस्थान भी इस समय जैविक खेती पर जोर दे रहे है । उत्तर प्रदेश में जैविक की एक सकारात्मक पहल हो चुकी  है । देश में हमारी पुरातन प्रथा दुवारा आने लगी है 

अब लगता है की किसानों के अच्छे दिन आने बाले हैं.......

kisan help line के जागरूपता कार्यक्रम में राधा कान्त जी के विचारो के कुछ अंश 

organic farming: