महामारी को दृष्टि गत रखते हुए किसान भाई अपने कृषि कार्यों को संपादित करें : डॉ आर के सिंह

कोरोना महामारी को दृष्टि गत रखते हुए देश एवं प्रदेश सरकार द्वारा लगातार किसानों के हित में ठोस कदम उठाए जा रहे हैं। इसी क्रम में सरकार द्वारा बनाए गए नियमों का अनुपालन करते हुए देश हित में इस महामारी को रोकने में अपना सहयोग प्रदान करते हुए डॉ आर के सिंह , अध्यक्ष एवं वरिष्ठ वैज्ञानिक, कृषि विज्ञान केंद्र, आई वी आर आई, बरेली ( उत्तर प्रदेश)ने कुछ कृषि कार्यों को संपादित करने की सलाह दी है।

1-गेहूं :-
फसल काटने से पहले खरपतवार को निकाल देना चाहिए जिससे मड़ाई के समय इनके बीज गेहूं के बीज में न मिलने पाए।
समय से बोये गए गेहूं की फसल पककर तैयार है समय से कटाई मड़ाई का प्रबंध कर ले अन्यथा मौसम विगड़ने से भारी नुकसान हो सकता है।
2-जौ /चना /मटर /सरसों:-
जौ ,चना मटर सरसों की कटाई व मड़ाई पूरी कर ले।
3-उर्द /मूंग:-
उर्द की बुवाई का समय निकल चुका है और मूंग की बुबाई जिन किसान भाइयों ने नहीं की है तो मूंग की प्रजाति आईपीएम 2- 3 , आईपीएम 139 ,विराट का चयन करें बीज प्रति हेक्टेयर 20 से 25 किलोग्राम आवश्यक होगा।
मूंग की बुवाई 30 सेंटीमीटर दूर कतारों में करें तथा बुवाई के समय 100 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर डीएपी उर्वरक प्रयोग करें।
समय से वोई गई फसल में बोबाई के 30 से 35 दिन बाद पहली सिंचाई करें तथा ओट आने पर निराई गुड़ाई कर दे।
उर्द मूंग की फसल में पत्ती खाने वाले कीटों की रोकथाम हेतु एमईडा क्लोरोप्रैड 2 परसेंट का घोल बनाकर छिड़काव करें।
4-चारे की फसलें:-
जिस खेत से बरसीम का बीज लेना है उसमें मार्च के प्रथम सप्ताह के बाद कटाई बंद कर बीज के लिए छोड़ दें।
बरसीम की फसल में 10 दिन के अंतराल पर सिंचाई करते रहें
बीज वाले बरसीम के खेत में हल्की सिंचाई करें अन्यथा वानस्पतिक वृद्धि अधिक होगी तथा बीज उत्पादन घटेगा।
गर्मी के चारे के लिए मक्का लोबिया व कई कटान वाली चारा ज्वार बुवाई अभी भी की जा सकती है।
मक्का व लोबिया मिलाकर बोने से अच्छी गुणवत्ता का चारा प्राप्त होता है।
हरे चारे की मक्का में 40 किलोग्राम नाइट्रोजन 88 किलोग्राम यूरिया बुवाई के 20 दिन बाद डालें।
बहु कटाई वाली चरी में बुवाई के 1 माह बाद प्रति हेक्टेयर 30 किलोग्राम नाइट्रोजन 66 किलोग्राम यूरिया तथा इतनी ही मात्रा पहली कटाई पर दें पुनः हर कटाई के बाद 20 किलोग्राम नाइट्रोजन 40 किलोग्राम यूरिया की टॉप ड्रेसिंग करते रहे
5-सब्जियों की खेती:-
ग्रीष्मकालीन बैंगन में रोपाई के 30 दिन बाद प्रति हेक्टेयर 50 किलोग्राम नाइट्रोजन 108 किलोग्राम यूरिया की पहली टॉप ड्रेसिंग रोपाई के 45 दिन बाद करें।
पूर्व में रोपी गई मिर्च में रोपाई के 25 दिन बाद प्रति हेक्टेयर 35 से 40 किलोग्राम नाइट्रोजन 76 से 87 किलोग्राम यूरिया की प्रथम टॉप ड्रेसिंग इतनी ही मात्रा की दूसरी टॉप ड्रेसिंग रोपाई के 45 दिनों बाद करें
बरसा कालीन बैंगन की नर्सरी यदि तैयार हो तो उसकी रोपाई 75 से 90 * 60 सेंटीमीटर की दूरी पर जहां तक संभव हो शाम के समय करें तथा रोपाई के तुरंत बाद हल्की सिंचाई कर दें।
वर्षा कालीन बैंगन की फसल के लिए नर्सरी में बीज की बुवाई इस माह भी कर सकते हैं
नर्सरी तैयार करने के लिए लो टनल पालीहाउस एग्रोनेट युक्त का प्रयोग करने से अच्छी गुणवत्ता की पौध तैयार होगी।
टमाटर की फसल मेंआवश्यकतानुसार सिंचाई करते रहे फलों में छेद करने वाले कीट से बचाने के लिए फल तोड़ने के बाद कार्बोसल्फान 25 से 2 मिलीलीटर पानी की दर से छिड़काव करें छिड़काव के तीन से चार दिन बाद तक फल की तोड़ाई ना करें।
बैनन में तना छेदक कीट से बचाव के लिए नीम गिरी 5% का छिड़काव 10 दिन के अंतराल पर करने से अच्छा परिणाम मिलता है।
भिंडी की फसल में नाइट्रोजन की प्रति हेक्टेयर 35 से 40 किलोग्राम मात्रा 76 से 87 किलोग्राम यूरिया की पहली टॉप ड्रेसिंग बुवाई के 30 दिन बाद एक तिहाई 35 से 40 किलोग्राम नाइट्रोजन 70 से 87 किलोग्राम यूरिया की दूसरी टॉप ड्रेसिंग बुवाई के 45 से 50 दिन बाद करें
भिंडी लोबिया की फसल में पत्ती खाने वाले कीट से बचाने के लिए फ्लू बोंडिया माइड 75 मिली प्रति हेक्टेयर का छिड़काव करें
भिंडी की फसल में फलों की तोड़ाई प्रत्येक तीसरे दिन करें अन्यथा नियमित न करने पर फल बड़े हो जाते हैं तथा संख्या में कम प्राप्त होते हैं
लहसुन प्याज की खुदाई करें खुदाई के 10 से 12 दिन पूर्व सिंचाई बंद कर दें
कद्दू बरगी फसलों में 4 से 5 दिन के अंतराल पर सिंचाई करें पौधे के कमजोर होने पर आवश्यकता अनुसार यूरिया की टॉप ड्रेसिंग कर दें ध्यान रखें यूरिया पत्तियों पर ना करें अन्यथा फसल जल जाएगी
लाल भृंग कीट की रोकथाम के लिए सुबह पोस्ट पढ़ने के समय राख का वुरकाव करने से कीट पौधों पर नहीं बैठते हैं
इस कीट का अधिक प्रकोप होने पर मेलाथियान 5% या कार्गोरिल 5% के 25 किलो ग्राम चूर्ण को रात में मिलाकर सुबह पौधों पर वो वुरकना चाहिए
6-फलों की खेती:-
आम के फलों को गिरने से बचाने के लिए 2 पॉइंट 5 मिलीलीटर प्लेनोफिक्स प्रत्यय 4 दशमलव 5 लीटर पानी में घोल कर छिड़काव करें।
आम के ऊतक छह रोग नियंत्रण के लिए 0.6 प्रतिशत बोरैक्स का दो छिड़काव फलों की मटर अवस्था में करें।
केला में प्रति पौधा 25 ग्राम नाइट्रोजन 55 ग्राम यूरिया 25 ग्राम फास्फोरस 155 ग्राम सिंगल सुपर फास्फेट व 100 ग्राम पोटाश 200 ग्राम म्यूरेट ऑफ पोटाश भूमि में गुडाई कर मिला दें
नींबू बरगी वृक्षों में सूक्ष्म तत्वों का छिड़काव करें फलों को फटने से बचाने के लिए 100 मिलीग्राम जिब्रेलिक एसिड प्रति 10 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें
आम अमरूद नीबू अंगूर बेल तथा पपीता की सिंचाई करें
7-पशुपालन :-
पशुओं में खुर पका मुंह पका रोग से बचाव के लिए टीका लगवाएं
पशुओं के लिए बदलते हुए मौसम के अनुसार सुपाच्य तथा पौष्टिक चारा की व्यवस्था करें
गाय तथा भैंस की संतति को मिना शकर दवा पान कराएं तथा सभी पशुधन में वृहा मिनाशी उपायों की व्यवस्था कराएं।
8-मुर्गी पालन:-
मुर्गियों से डिव मिर्ग पेट के कीड़ों के लिए दवा समय से देना सुनिश्चित करें
जो मुर्गियां कम अंडे दे रही हो उनकी छंटनी कर दें
बदलते मौसम में मुर्गियों को प्रकाश स्वच्छ जल तथा संतुलित आहार की व्यवस्था कराएं
आरडी तथा फाउल पाक्स का टीकाकरण समय-समय पर करते रहें।

organic farming: