रसायन मुक्त कीट प्रबंधन का सरलतम उपचार ट्राइकोग्रामा परजीवी

ट्राईकोग्रामा अतिसूक्ष्म आकार का एक मित्र कीट जीव है, जिन्हें खेतो में आसानी से देख पाना कठिन है परन्तु प्रयोगशालाओं में इन्हें आसानी से देखा जा सकता है । इसका बहुगुणन (Multiplication) प्रयोगशाला में किया जाता है  तथा बाद में इन्हें खेतो में छोड़ दिया जाता है । यह एक प्रकार का अंड-परजीवी मित्र कीट है,

जो शत्रु कीट के अण्डों में अपना अंडा डालकर उन्हें अंडावस्था में ही नष्ट कर देते है और शत्रु कीट के अंडे से इनका (मित्र कीट ट्राइकोग्रामा) का वयस्क बाहर आता है, जो पुन: शत्रु कीट में अपना अंडा देता है। इनका जीवन चक्र बहुत छोटा होता है तथा एक फसल अवधि में इसकी अनेक पीढ़ियाँ आ जाती हैं | इस प्रकार इनकी संख्या शत्रु कीट की तुलना में अनेक गुणा बढ़ जाती है, तथा शत्रु कीट अण्डों को नष्ट करता रहता है ।

 अंड-परजीवी मित्र कीट ट्राइकोग्रामाआज सम्पूर्ण विश्व में जैविक खेती पर जोर दिया जा रहा है, ट्राइकोग्रामा इसके लिए वरदान सिद्ध हो रहा है, क्योकि ये रसायन-मुक्त कीट प्रबंधन का सटीक उपाय है I विश्व में ट्राइकोग्रामा की 18 प्रजातियों का नाशीजीव प्रबंधन में उपयोग हो रहा है I ट्राइकोग्रामा विधि का प्रयोग रसायन-मुक्त कीट नियंत्रण का एकमात्र उपाय है, जिसमें शत्रु-कीटों का अंडावस्था में ही नाश हो जाता है तथा फसल की रक्षा सुनिश्चित होती है, साथ ही कीटनाशक दवाओं पर होने वाला खर्च भी बच जाता है व विष- मुक्त खाद्य एवं सब्जियां उगाई जा सकती है I

हमारे देश में ट्राईकोग्रामा की प्रायः दो प्रजातियों का प्रयोग होता है:-

1.ट्राइकोग्रामा केलोनिस (Trichogramma chelonis)

ट्राइकोग्रामा प्रजाति ट्राइकोग्रेमेटीड कुल में आता है| यह छोटा सा मित्र कीट वास्प  का आकार 0.4  से 0.7 मि.मी. का होता है| इसका पूरा जीवन चक्र 8-10 दिन का होता है . यह बिभिन्न कीट की 200 कीट प्रजाति को 80-90 % तक खेत में नियंत्रित करता है.  

2. ट्राइकोग्रामा जापोनिकम (Trichogramma japonicum)

ट्राइकोग्रामा केलोनिस का प्रयोग धान सब्जियों एवं अन्य फसलो में अधिक प्रभावी है I ट्राइकोग्रामा जापोनिकम प्रायः गन्ने की फसल में पाए जानेवाले बिभिन्न प्रकार के छेदक (तना छेदक एवं सुंडी) की अंडे की अवस्था में अपना अंडा डालकर अपना जैविक चक्र स्थापित करके छेदक का नाश करता  है, जिससे हानिकारक छेदक कीट की संख्या में भारी कमी आ जाती  है I

लक्ष्य कीट:-

यह गन्ने के सभी प्रकार के छेदक, चना, अरहर के सुंडी, गोभी की सुंडी तथा अनेक अन्य कीटों का रोकथाम करता है I

लक्ष्य फसल:-

यह सभी प्रकार के सब्जियों, गन्ना, अरहर, धान आदि फसलों पर प्रयोग किया जा सकता है I

कार्य पद्धति :

जैविक कारको में ट्राइकोग्रामा प्रजाति का फसलो के नाशीजीव प्रबंधन में महत्वपूर्ण योगदान हैI ट्राईकोग्रामा एक अंड-परजीवी है, तथा शत्रु कीट के अण्डों में अपना अंडा डाल देता है, जिससे शत्रु कीट नष्ट हो जाते है I ट्राईकोग्रामा के लार्वा की अवधि इसी अंडे में पूरी होती है तथा यह पतंगे के रूप में बाहर निकलता है और पुन: शत्रु कीट के अण्डों को खोजकर उनमे अपना अंडा देता है I प्रयोगशाला में इसे चावल के कीट कोर्सेरा के अण्डों पर बहुगुणन  किया जाता है I  कोर्सेरा के अण्डों की एक महीन सतह 6’’x2’ के कार्ड पर चिपका कर बनाई जाती  हैI  इस कार्ड को प्रायः ट्राईको-कार्ड नाम से जाना जाता है I सामान्यतः एक कार्ड पर 20 हजार अंडे होते है I इसी कार्ड को फसल के ऊपर लगा दिया जाता है जिससे यह मित्र कीट निकलकर शत्रु कीट के अण्डों को प्रभावित करते है I

ट्राइकोग्रामा परजीवी प्रयोग मात्रा:

छेदक नाशीजीवों से फसल सुरक्षा हेतु 50 हजार ट्राइकोग्रामा केलोनिस प्रजाति से आच्छादित ट्राइको कार्ड को 10 दिन के अन्तराल पर छोड़ा जाता है या 2.5 कार्ड एक हेक्टेयर में लगा दिया जाता है I पूरी फसल अवधि में 4-6 बार ट्राइको कार्ड छोड़ने की जरुरत पड़ती है I

अनुरूपता :

इसके छोड़ने के पश्चात किसी भी तरह के रासायनिक कीटनाशक का उपयोग नहीं करना चाहिए I
लाभ:

इसे प्रयोग करना बहुत ही सरल है और यह पर्यावरण के अनुकूल एवं सुरक्षित हैI
मित्र कीटों का किसी भी प्रकार की हानि नही करता I
यह अत्यधिक न्यून लागत से शत्रु कीटों का प्रभावी नियंत्रण करता है I
भण्डारण:

इसे 5 से 10० C तापमान पर 30 दिन तक रखा जा सकता है|

ट्राइकोग्रामा परजीवी के प्रयोग में सावधानियाँ :

इसे सुबह या संध्या काल में ही खेतों में छोड़े|
इसके साथ या बाद में किसी भी प्रकार का कीटनाशक का प्रयोग न करे |

जैविक खेती: