भूमि

भूमि उपयोग पृथ्वी के किसी क्षेत्र का मनुष्य द्वारा उपयोग को सूचित करता है। सामान्यतः जमीन के हिस्से पर होने वाले आर्थिक क्रिया-कलाप को सूचित करते हुए उसे वन भूमि, कृषि भूमि, परती, चरागाह इत्यादि वर्गों में बाँटा जाता है। और अधिक तकनीकी भाषा में भूमि उपयोग को "किसी विशिष्ट भू-आवरण-प्रकार की रचना, परिवर्तन अथवा संरक्षण हेतु मानव द्वारा उस पर किये जाने वाले क्रिया-कलापों" के रूप में परिभाषित किया गया है।
वृहत् स्तर पर ग्रेट ब्रिटेन में प्रथम भूमि उपयोग सर्वेक्षण सन् 1930 ई॰ में डडले स्टाम्प महोदय द्वारा किया गया था।
भूमि उपयोग और इसमें परिवर्तन का किसी क्षेत्र के पर्यावरण और पारिस्थितिकी पर अत्यंत महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है। प्राकृतिक संसाधन संरक्षण से जुड़े मुद्दों में भूमि उपयोग संरक्षण से जुड़े बिंदु हैं: मृदा अपरदन एवं संरक्षण, मृदा गुणवत्ता संवर्धन, जल गुणवत्ता और उपलब्धता, वनस्पति संरक्षण, वन्य-जीव आवास इत्यादि।जन्म स्थान या अपने देशको मातृभूमि बोला जाता है। भारत और नेपाल मे भूमि को माता के रुप में माना जाता है, जिस जमीन अथवा भूमि का अन्नादि खाते है उसे भी मातृभूमि कहते हैं। जन्म भूमि को भी मातृ भूमि कहते हैं। यूरोपीय देशों मे मातृभूमि को पितृ भूमि कहते हैं। विश्व के कई जगहों में गृह भूमि भी कहते है

पट्टा खत्म होने पर भी भूमि से बेदखल नहीं होंगे किसान - सुप्रीम कोर्ट

पट्टा खत्म होने पर भी भूमि से बेदखल नहीं होंगे किसान - सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने व्यवस्था दी है कि अवधि बीत जाने पर भी किसान को पट्टे की भूमि से बेदखल नहीं किया जा सकता है। शीर्ष अदालत ने कहा है कि जमीन के मालिक को पट्टे की अवधि बीत जाने की जानकारी हो या वह जमीन के एवज में किराया ले रहा हो तो किसान का कब्जा बरकरार रहेगा।

संपत्ति हस्तांतरण अधिनियम के एक प्रावधान का उल्लेख करते हुए जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता में जस्टिस अरुण मिश्र और जस्टिस पीसी पंत की तीन सदस्यीय पीठ ने पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के फैसले को खारिज कर दिया। हाई कोर्ट ने जमीन के पट्टे की अवधि बीत जाने के बाद किसान को जमीन खाली करने का आदेश दिया था।

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