सोयाबीन

सोयाबीन एक फसल है। यह दलहन के बजाय तिलहन की फसल मानी जाती है।

सोयाबीन मानव पोषण एवं स्वास्थ्य के लिए एक बहुउपयोगी खाद्य पदार्थ है। सोयाबीन एक महत्वपूर्ण खाद्य स्त्रोत है। इसके मुख्य घटक प्रोटीन, कार्बोहाइडेंट और वसा होते है। सोयाबीन में 33 प्रतिशत प्रोटीन, 22 प्रतिशत वसा, 21 प्रतिशत कार्बोहाइडेंट, 12 प्रतिशत नमी तथा 5 प्रतिशत भस्म होती है।

सोयाप्रोटीन के एमीगेमिनो अम्ल की संरचना पशु प्रोटीन के समकक्ष होती हैं। अतः मनुष्य के पोषण के लिए सोयाबीन उच्च गुणवत्ता युक्त प्रोटीन का एक अच्छा स्त्रोत हैं। कार्बोहाइडेंट के रूप में आहार रेशा, शर्करा, रैफीनोस एवं स्टाकियोज होता है जो कि पेट में पाए जाने वाले सूक्ष्मजीवों के लिए लाभप्रद होता हैं। सोयाबीन तेल में लिनोलिक अम्ल एवं लिनालेनिक अम्ल प्रचुर मात्रा में होते हैं। ये अम्ल शरीर के लिए आवश्यक वसा अम्ल होते हैं। इसके अलावा सोयाबीन में आइसोफ्लावोन, लेसिथिन और फाइटोस्टेरॉल रूप में कुछ अन्य स्वास्थवर्धक उपयोगी घटक होते हैं।

सोयाबीन न केवल प्रोटीन का एक उत्कृष्ट स्त्रौत है बल्कि कई शारीरिक क्रियाओं को भी प्रभावित करता है। विभिन्न शोधकर्ताओं द्वारा सोया प्रोटीन का प्लाज्मा लिपिड एवं कोलेस्टेरॉल की मात्रा पर पड़ने वाले प्रभाव का अध्ययन किया गया है और यह पाया गया है कि सोया प्रोटीन मानव रक्त में कोलेस्टेरॉल की मात्रा कम करने में सहायक होता है। निर्दिष्ट स्वास्थ्य उपयोग के लिए सोया प्रोटीन संभवतः पहला सोयाबीन घटक है।

पहले कम बारिश और अब गर्डल बीटल इल्ली का सोयाबीन अटैक

बारिश की लंबी खेंच से  बोई गई सोयाबीन की फसल पर खतरा मंडराने लगा है। पानी के अभाव में जहां पौधे मुरझा रहे हैं, वहीं इल्लियों का प्रकोप भी बढ़ रहा है। पौधों पर सेमीलूपर के साथ गर्डल बीटल इल्ली का प्रकोप भी है, जो तने को नष्ट करती है। कृषि विशेषज्ञों की माने तो बारिश की लंबी खेंच से दोबारा बोवनी की नौबत आ सकती है। खासकर उन खेतों में, जो बल्ड़ियों पर है। लिहाजा, कृषि वैज्ञानिक किसानों को पौधों को लंबे समय तक जिंदा रखने के उपाय बता रहे हैं।

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