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कृषि क्षेत्र के तीन घटकों में महत्वपूर्ण है ‘पशुधन’

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पिछले एक दशक के दौरान अनेक विषम परिस्थितियों का सामना करते हुए पशुधन व्यवसाय ने भारतीय कृषि व अर्थ व्यवस्था में व्यापक योगदान दिया है। इसके माध्यम से बड़ी संख्या में रोजगार का सृजन भी हुआ है । इसमें निहित संभावनाओं के पूर्ण दोहन के लिए आवश्यक है कि इसे प्राथमिकता वाले क्षेत्र में सम्मिलित किया जाए ।

बकरी पालन :आय का उत्तम स्रोत

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बकरी पालन

खेती और पशु दोनों एक दूसरे के पर्याय हैं। उत्तर प्रदेश की आजीविका इन्हीं दो के इर्द-गिर्द अधिकांशतः घूमती रहती है। खेती कम होने की दशा में लोगों की आजीविका का मुख्य साधन पशुपालन हो जाता है। गरीब की गाय के नाम से मशहूर बकरी हमेशा ही आजीविका के सुरक्षित स्रोत के रूप में पहचानी जाती रही है। बकरी छोटा जानवर होने के कारण इसके रख-रखाव का खर्च भी न्यूनतम होता है। सूखे के दौरान भी इसके खाने का इंतज़ाम आसानी से हो सकता है, इसके साज-संभाल का कार्य महिलाएं एवं बच्चे भी कर सकते हैं और साथ ही आवश्यकता पड़ने पर इसे आसानी से बेचकर अपनी जरूरत भी पूरी की जा सकती है। बुंदेलखंड क्षेत्र में अधिकतर लघु एवं सीमा

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