जैविक कृषि सुरक्षा
ग्वारपाठा के पौधे के रोग
Submitted by Aksh on 7 April, 2017 - 22:44ग्वारपाठा या घृतकुमारी (aloevera) कांटेदार पत्तियों वाला पौधा हैं, जिसमें रोग को दूर करने के बहुत सारे गुण भरे होते हैं। यह भारत के गर्म जगहों में पाया जाने वाला एक बारहमासी पौधा हैं और लिलिएसी परिवार से संबंधित हैं। आयुर्वेद में इसे घृतकुमारी के नाम से जाना जाता है । ग्वारपाठा की 200 जातियां होती हैं, परंतु इसकी 5 जातियां ही मानव शरीर के लिए उपयोगी हैं। यह खून की कमी को दूर करता हैं तथा शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता हैं। पत्तियों का रस माइकोबैक्टीरियम क्षयरोग के विकास को रोकता हैं। यह एंटीइन्फ्लामेंटरी, एंटीसेप्टिक, एंटी अलसर, एंटी टूमओर और मधुमेह के उपचार में कारगर हैं। अर्द्ध ठो
जैविक खेती से फसलो की ज्यादा पैदावार और ज्यादा आय
Submitted by Aksh on 26 March, 2017 - 22:35नाइट्रोजन प्राकृतिक तरीकें से कैसे काम करता है
Submitted by Aksh on 23 March, 2017 - 09:00विभिन्न परियोजनाओं के तहत देश के विभिन्न हिस्सों में किए गए मिट्टी यानि मृदा विश्लेषण से कम से कम 6 पोषक तत्वों- Nitrogen (नाइट्रोजन) , Phosphorus (फास्फोरस), Potash (पोटाश), Zinc (जिंक) और Boron (बोरॉन) की व्यापक कमी प्रदर्शित हुई। उत्तर-पश्चिमी भारत के चावल-गेहूँ उगाये जाने वाले क्षेत्रों में किए गये कुछ नैदानिक सर्वे से पता लगा कि किसान उपज स्तर को बनाये रखने के लिए, जिन्हें पहले कम उर्वरक उपयोग के जरिए भी हासिल कर लिया जाता था, अक्सर उचित दरों से ज्यादा नाइट्रोजन का उपयोग करते हैं।
नाइट्रोजन यह एक फसल को लगने वाला महत्वपूर्ण पोष्टिक तत्व है |