जैविक कृषि सुरक्षा

रसायन मुक्त कीट प्रबंधन का सरलतम उपचार ट्राइकोग्रामा परजीवी

ट्राईकोग्रामा अतिसूक्ष्म आकार का एक मित्र कीट जीव है, जिन्हें खेतो में आसानी से देख पाना कठिन है परन्तु प्रयोगशालाओं में इन्हें आसानी से देखा जा सकता है । इसका बहुगुणन (Multiplication) प्रयोगशाला में किया जाता है  तथा बाद में इन्हें खेतो में छोड़ दिया जाता है । यह एक प्रकार का अंड-परजीवी मित्र कीट है,

रसायन के प्रकार

रसायन के 3 प्रकार के होते हैं।
1.प्राकृतिक रसायन- जो प्रकृति में स्वयं बनते हैं ,उतना ही कार्य करते हैं जो उनका कार्य है, इसके अलावा इनका कोई साइड इफेक्ट नही होता।
2,संवर्धित रसायन- उचित माहौल देकर बिना किसी छेड़छाड़ के उस रसायन की वृद्धि करना।इसमें केवल उचित माहौल दिया जाता है।
ये वही काम करते हैं जो प्राकृतिक रसायन करते हैं ,इनके भी साइड इफेक्ट नही होते ।
3. सिंथेटिक रसायन- यानी वे रसायनों के मेल जो प्रकृति में कम मात्रा में मिलते हों, हमे ज्यादा चाहिए तो उन्हें रसायनिक अभिक्रियाओं के माध्यम से उत्प्रेरकों की मदद से लैब कंडीशन या फैक्ट्री में बनाया जाता है।

अलसी की खेती

अलसी बहुमूल्य औद्योगिक तिलहन फसल है। अलसी की खली दूध देने वाले जानवरों के लिये पशु आहार के रूप में उपयोग की जाती है तथा खली में विभिन्न पौध पौषक तत्वो की उचित मात्रा होने के कारण इसका उपयोग खाद के रूप में किया जाता है। 

चना की उन्नत खेती

चना  भारत की सबसे महत्वपूर्ण दलहनी फसल है। चने को दालों का राजा कहा जाता है। पोषक मान की दृष्टि से चने के 100 ग्राम दाने में औसतन 11 ग्राम पानी, 21.1 ग्राम प्रोटीन, 4.5 ग्रा. वसा, 61.5 ग्रा. कार्बोहाइड्रेट, 149 मिग्रा. कैल्सियम, 7.2 मिग्रा. लोहा, 0.14 मिग्रा. राइबोफ्लेविन तथा 2.3 मिग्रा.

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