मसाले
भोजन को सुवास बनाने, रंगने या संरक्षित करने के उद्देश्य से उसमें मिलाए जाने वाले सूखे बीज, फल, जड़, छाल, या सब्जियों को 'मसाला (spice) कहते हैं। कभी-कभी मसाले का प्रयोग दूसरे फ्लेवर को छुपाने के लिए भी किया जाता है।
मसाले, जड़ी-बूटियों से अलग हैं। पत्तेदार हरे पौधों के विभिन्न भागों को जड़ी-बूटी (हर्ब) कहते हैं। इनका भी उपयोग फ्लेवर देने या अलंकृत करने (garnish) के लिए किया जाता है।
बहुत से मसालों में सूक्ष्मजीवाणुओं को नष्ट करने की क्षमता पाई जाती है।
काश्त पद्धति से हल्दी की उन्नत खेती
Submitted by Aksh on 12 May, 2015 - 18:20हल्दी एक महत्वपूर्ण मसाले वाली फसल है जिसका उपयोग औषधि से लेकर अनेकों कार्यो में किया जाता है। इसके गुणों का जितना भी बखान किया जाए थोड़ा ही है, क्योंकि यह फसल गुणों से परिपूर्ण है इसकी खेती आसानी से की जा सकती है तथा कम लागत तकनीक को अपनाकर इसे आमदनी का एक अच्छा साधन बनाया जा सकता है। यदि किसान भाई इसकी खेती ज्यादा मात्रा में नहीं करना चाहते तो कम से कम इतना अवश्य करें जिसका उनकी प्रति दिन की हल्दी की मांग को पूरा किया जा सकें। निम्नलिखित शास्त्र वैज्ञानिक पद्धतियों को अपना कर हल्दी की खेती सफलता पूर्वक की जा सकती है।
भूमि का चुनाव:-
कैसे उगाएॅं: हल्दी
Submitted by Aksh on 11 May, 2015 - 22:44हल्दी जिंजिवरेंसी कुल का पौधा हैं। इसका का वानस्पतिक नाम कुर्कमा लांगा हैं। इसकी उत्पत्ति दक्षिण पूर्व एशिया में हुई हैं। हल्दी का उपयोग प्राचीनकाल से विभिन्न रूपों में किया जाता आ रहा हैं, क्योंकि इसमें रंग महक एवं औषधीय गुण पाये जाते हैं। हल्दी में जैव संरक्षण एवं जैव विनाश दोनों ही गुण विद्यमान हैं, क्योंकि यह तंतुओं की सुरक्षा एवं जीवाणु (वैक्टीरिया) को मारता है। इसका उपयोग औषधीय रूप में होने के साथ-साथ समाज में सभी शुभकार्यों में इसका उपयोग बहुत प्राचीनकाल से हो रहा है। वर्तमान समय में प्रसाधन के सर्वोत्तम उत्पाद हल्दी से ही बनाये जा रहे हैं। हल्दी में कुर्कमिन पाया जाता हैं तथा इससे ए
लहसुन की खेती
Submitted by Aksh on 6 May, 2015 - 10:41जलवायु -
लहसुन को ठंडी जलवायु कि आवश्यकता होती है वैसे लहसुन के लिए गर्म और सर्दी दोनों ही कुछ कम रहें तो उत्तम रहता है अधिक गर्म और लम्बे दिन इसके कंद निर्माण के लिए उत्तम नहीं रहते है छोटे दिन इसके कंद निर्माण के लिए अच्छे होते है इसकी सफल खेती के लिए 29.76-35.33 डिग्री सेल्सियस तापमान 10 घंटे का दिन और 70 % आद्रता उपयुक्त होती है समुद्र तल से 1000-1400 मीटर तक कि ऊंचाई पर इसकी खेती कि जा सकती है .
भूमि -