मसाले

भोजन को सुवास बनाने, रंगने या संरक्षित करने के उद्देश्य से उसमें मिलाए जाने वाले सूखे बीज, फल, जड़, छाल, या सब्जियों को 'मसाला (spice) कहते हैं। कभी-कभी मसाले का प्रयोग दूसरे फ्लेवर को छुपाने के लिए भी किया जाता है।

मसाले, जड़ी-बूटियों से अलग हैं। पत्तेदार हरे पौधों के विभिन्न भागों को जड़ी-बूटी (हर्ब) कहते हैं। इनका भी उपयोग फ्लेवर देने या अलंकृत करने (garnish) के लिए किया जाता है।

बहुत से मसालों में सूक्ष्मजीवाणुओं को नष्ट करने की क्षमता पाई जाती है।

हल्दी की उन्नत जैविक खेती

हल्दी जिंजिवरेंसी कुल का पौधा हैं। इसका का वानस्पतिक नाम कुर्कमा लांगा हैं। इसकी उत्पत्ति दक्षिण पूर्व एशिया में हुई हैं। हल्दी का उपयोग प्राचीनकाल से विभिन्न रूपों में किया जाता आ रहा हैं, क्योंकि इसमें रंग महक एवं औषधीय गुण पाये जाते हैं। हल्दी में जैव संरक्षण एवं जैव विनाश दोनों ही गुण विद्यमान हैं, क्योंकि यह तंतुओं की सुरक्षा एवं जीवाणु (वैक्टीरिया) को मारता है। इसका उपयोग औषधीय रूप में होने के साथ-साथ समाज में सभी शुभकार्यों में इसका उपयोग बहुत प्राचीनकाल से हो रहा है। वर्तमान समय में प्रसाधन के सर्वोत्तम उत्पाद हल्दी से ही बनाये जा रहे हैं। हल्दी में कुर्कमिन पाया जाता हैं तथा इससे ए

इलायची की जैविक खेती

छोटी इलायची एक मध्य पूर्व के बाजार में मसाले के बाद की मांग की है। यह केरल, कर्नाटक और तमिलनाडु में खेती की जाती है। भारत इलायची के छोटे cardamom.In जैविक खेती का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है, का पालन किया जाना तरीकों के प्रयोजन के लिए निर्धारित मानकों के अनुरूप होना चाहिए। विस्तृत कम से कम 25 मीटर की अलगाव बेल्ट सभी पारंपरिक वृक्षारोपण भर से छोड़ा जा सकता है। इस क्षेत्र से उपज जैविक रूप में इलाज नहीं किया जाएगा। तीन साल के एक रूपांतरण अवधि जैविक खेती के लिए एक मौजूदा वृक्षारोपण के लिए आवश्यक है। Replanted और नए लगाए क्षेत्रों के लिए, चौथे वर्ष से उपज के बाद ही जैविक उत्पाद के रूप में विचार क

बड़ी इलायची/लार्ज कार्डेमम की उन्नत खेती

व्यवसायिक स्तर पर इसको बड़ी इलायची/लार्ज कार्डेमम के नाम से जाना जाता है। जिन्जिबरेसी कुल के इस पौधे का वानस्पतिक नाम एमोमम सुबुलेटम है। तना 0.9-2.0 मीटर तक लम्बा पत्तियां 30-60 सेमी. लम्बी 6 से 9 सेमी. चौडी, रंग हरा व दोनों तरफ रोम रहित होती है। पुष्पवृंत गोल छोटे वृन्त वाला तथा सहपत्र लाल भूरे रंग के अधिक घने व अण्डाकार कटींले व नोकदार होते है। कैप्सूल (फल) 2.5 सेमी. गोलाकार, लाल भूरे रंग का घना व हल्का कण्टीला होता है।

उपयोग

Pages