गन्ना भुगतान में देरी के लिए सरकार के साथ रासायनिक कीटनाशक भी जिम्मेदार
निजी हित के लिए बहुत सी कम्पनियाँ किसानों को गुमराह करतीं हैं।देश में किसानों की आर्थिक स्थिति से लेकर स्वास्थ्य समस्यायें बढ़ती जा रही हैं।सरकार और बैज्ञानिकों को अपनी जिम्मेदारी से किसानों के लिए काम करना चाहिए और साथ में किसानों को भी अपनी जागरूपता बढ़ानी होगी।
देश में किसानों की हालत गंभीर है।प्रतिवर्ष हजारों किसान आत्महत्या कर लेते हैं।कारण किसानों पर कर्ज का दवाव।किसानों की सबसे बड़ी समस्या उनकी फसल का उत्पादन है किसान हजारों मुसीबत झेलते हुए फसल का उत्पादन करता है जिसमें अधिक तापमान, कम बारिश ,अधिक बारिश, बाढ़, तूफान आदि की समस्याओं का सामना करना पड़ता है, उसके बाद उसे जो उत्पादन मिलता है उसकी बिक्री बाजार की विकराल समस्या का सामना करना पड़ता है।
बाजार मिलने के बाद उसके उत्पादन मूल्य मिलना और समय से उस मूल्य का भुगतान यह सबसे बड़ी समस्या होती हैं। गन्ना किसानों के साथ भी किसानों की जानी मानी पुरानी समस्याओं का प्रकोप रहता है।चीनी मिलों की बेरुखी, सरकार का सौतेला व्यवहार के बाद भुगतान नहीँ। इस साल पिछली बार की तरह सरकार ने तुरन्त भुगतान की घोषणा की नतीजा शून्य बल्कि उससे भी बुरा। लेकिन इस तरह की समस्या क्यों आती हैं?
मैंने इस बात पर क्रमबद्ध रूप से विचार किया और अपने अनुभवों के आधार पर निर्णय निकाला कि सरकार के बाद सबसे बड़ी समस्या फसल में कीटनाशकों का मिलना है।विदेशों में हमारी चीनी की बिक्री नही हो पा रही है चीनी ही नही हमारे देश से विदेशों में जाने वाला खुशबु दार चावल जिसकी विदेशों में बहुत माँग रहती है, लेकिन पिछले कुछ वर्षों में कमी आयी है।क्योंकि हमारे उत्पादन में कीटनाशकों की मात्रा अधिक मिली ।विशेष रूप से खाद्यान्न उत्पादन में यह समस्या बड़ी है ,चीनी की माँग भी चीनी में खतरनाक कीटनाशक पाए जाने के कारण कमी आयी है जिसके कारण चीनी मिलों ने किसानों के भुगतान रोक दिये।
मुझे याद है कि किसानो के का एक कार्यक्रम में मैने कोराजन के खिलाफ बोला तो बहुत से किसान मुझसे असंतुष्ट हुये लेकिन अभी कुछ दिनों पहले उत्तर प्रदेश के चीनी एवं गन्ना आयुक्त ने भी इस बात को माना कि कोराजन का अत्यधिक प्रयोग खतरनाक है। 2012 में 2016 में पाकिस्तान जैसे देश ने हमारा टमाटर लेने से मना कर दिया हवाला कीटनाशक की मात्रा दिया नतीजा हमारे यहाँ किसानों को टमाटर सड़क पर फेंकना पड़ा। टमाटर ही नही प्याज,लहसुन,आलू ,व अन्य बहुत सी सब्जियों को सड़कों पर हम किसानों के द्वारा फेंक कर प्रदर्शन किये गए। यह स्थिति प्रति वर्ष बढ़ती जा रही है जिसके लिएहम किसानों को अपने तरीके,उर्वरक और कीटनाशकों की बदलना होगा सरकार को भी नीतियाँ बदलनी होगी।कृषि आय की दुगना करने की घोषणा से कुछ नहीं होगा।अब कृषि क्षेत्र को उद्योग का दर्जा देना होगा। किसान हैल्प के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं जाने माने जैविक प्रचारक डॉ आर के सिंह के किसान बचाओ कार्यक्रम में विचार