जीवन और जमीन दोनों के लिए घातक कोराजन
जहर की बाजार में किसानों को बरबादी के नए युग की शुरुआत हो गई है किसान स्वम् अपना दुश्मन बन बैठा है चटकीले विज्ञापन की चकाचौंध में अपनी सुध बुध खो बैठा है एक ओर किसान अपनी तबाही अपने हाथ से लिख रहा है बही दूसरी ओर पैस्टीसाइड के अंधाधुंध इस्तेमाल से जहरीले होते जा रहे पर्यावरण पर भी चिंता बढती ही जा रही है किसान अधिक उत्पादन के लालच में पैस्टीसाइड का अंधाधुंध प्रयोग कर रहे हैं । इसी कड़ी में एक नए जहर ने अपना कब्ज़ा कर किया है वह जहर है कोराजन कृषि वैज्ञानिकों ने कोराजन पेस्टीसाइड से जन एवं जमीन दोनों को ही खतरा बताया।
कृषि वैज्ञानिक पीएन मिश्रा एवं जेपीएस मलिक ने बातचीत के समय बताया कि इस पेस्टीसाइड से जमीन को खतरा पैदा हो गया है। शोध में सामने आया है कि लगातार दो तीन साल तक कोराजन का इस्तेमाल करने से जमीन बंजर एवं जहरीली हो जाएगी।
किसान गन्ने वा अन्य फसलों को अच्छा बनाने के लिए कोराजन का भरपूर इस्तेमाल कर रहे है विज्ञापन पर लिखा है लठ्ठ जैसा गन्ना कंपनी का दावा है की कोराजन का एक वार प्रयोग करके साल भर दवाइयों की जरुरत नहीं फसल अच्छी और मजबूत होगी उपज बढेगी
मेरी समझ में अब तक नही आया की वह कीटनाशक है या उर्वरक अगर वह कीटनाशक है तो उर्वरा शक्ति कैसे बड़ा रही है और उर्वरक है तो कीटनाशक का कम कैसे कर रही है रोग रोधक क्षमता को कैसे बड़ा देती है इस हिसाब से सरकार को खाद के कारखाने बंद करके कोराजन का ही उत्पादन करना चाहिए हो सकता है की कल तक हमें जहर बेंचने वाले पश्चिमी देश भी इसे खरीदें ऐसे तो हमें बहुत मात्रा में विदेशी मुद्रा प्राप्त हो सकती है
मै देश के हर किसान से पूछता हु कि ऐसा हुआ क्या ? नही दरसल यह एक खतरनाक जहर है जो हम किसान भाइयों को हमारे लालच के एवज में मिल रहा है हम किसान भाई अपनी बुद्धि का प्रयोग किये बिना ही अपने खेत में अपनी थाली में पर्यावरण में जहर घोल रहे है
खेतों में कीड़ों पर काबू पाने के लिए प्रकाश प्रपंच की विधि का उल्लेख किया। इस विधि में खेत में रात्रि के समय बैटरी से दूधिया बल्व जलाते है, उसके नीचे बड़े बर्तन में पानी के साथ मिट्टी का तेल मिलाकर रखे। कीड़े उसकी ओर आकर्षित होंगे। जिन्हें सुबह के समय छानकर मिट्टी में दबा दे। इसके अलावा ट्राइकोडर्मा कार्ड, बैबेरिया बेसियाना से भी कीड़ों पर नियंत्रण किया जा सकता है। इससे पर्यावरण को नुकसान नहीं होगा।
गन्ने की फसल को ब्हाइट ग्रब्स तेजी के साथ नुकसान पहुंचा रहा है। 15 मई से 30 जून तक यह जमीन के अंदर रहता है। ताजे गोबर में अंडे देता है। जिससे लारवा बनता है। केवल 30 जुलाई से पहले ही इस पर काबू पाया जा सकता है। वैज्ञानिकों ने सलाह दी कि इससे बचने के लिए किसान क्लोरोफाइरीफाश बीस प्रतिशत को खेत में डाले।
हमारे क्षेत्र के कई किसानो ने कोराजन का प्रयोग कर के अपनी जमीन को बंजर बना लिया मेरे अपने अनुभव की बात बता रहा हूँ हमारे पडोस में ही श्री जी.के .सिह जी का फार्म है श्री जी.के .सिह एक बड़ी कम्पनी में अच्छे पद पर कार्यरत है उन्होंने अपनी गन्ना की फसल में पिछले कुछ सालो से कोराजन का प्रयोग किया है श्री जी.के .सिह हमारे क्षेत्र के बड़े किसानों में से एक है अभी पिछले वर्ष उन्होंने जानवरों के चारे के लिए वरसीन की फसल बोई परन्तु कुछ बड़ी होकर वह सूख गई उन्होंने दुवारा कोशिश की परन्तु सफलता हाथ नही लगी फिर धान की फसल लेने के लिए हरी खाद के रूप में ढैंचा बोया बो भी सूख गया उन्होंने अलग अलग जगह पर मिट्टी परीक्षण कराया और पाया की उसमें जहर की मात्रा इतनी अधिक है कि नाजुक फसल हो हो ही नहीं सकती यह केवल श्री जी.के .सिह ही नहीं देश के कई किसानो के साथ यह घटना घट चुकी है परन्तु हमारा किसान अभी मानने को तैयार ही नही है
अगर येही हाल चलता रहा तो कई श्री जी.के .सिह जैसे बहेड़ी के श्री राजीव जी श्री अनोखे लाल जी और कई लोग जिनका मई नाम नहीं जनता या वो लोग मेरे सम्पर्क में अभी तक नही आये है लोग हो जायेंगेश्री जी.के .सिह और राजीव जी इसको आसानी से बर्दाश्त कर गए और हमारी टीम ने उन्हें बचा लिया परन्तु आम किसान जिसके पास भूमि की ही कमाई है उनके पास शायद कोई विकल्प न बचे .......
उन्होंने अपनी जमीन से मिट्टी उठवा कर उसमें गोबर की खाद और बहुत सारी कम्पोस्ट खाद डाल कर खेती योग्य बनाया आज वे हमारी बातो को गंभीरता से लेते है और जैविक की अच्छी शुरुआत कर रहे है
कुछ लोग कर के सीखते है और कुछ लोग करे अनुभवों का लाभ लेते है बुद्धिमान वह व्यक्ति होता है जो दूसरों के अनुभवो से सवक लेता है खुद गढ़ढे में नही गिरता है
kisan help line के जागरूपता अभियान में राधा कान्त जी के विचारो के कुछ अंश