kisanhelp's blog

सबका साथ-सबका विकास में किसान शामिल क्यों नहीं ?

सबका साथ-सबका विकास में किसान शामिल क्यों नहीं ?

भाजपा सरकार का कहना है कि वो किसानों के मुद्दों को लेकर संजीदा हैं. बीते साल कई जनसभाओं में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि भाजपा सरकार 2022 तक किसानों की आय को दोगुना करने का संकल्प रखती है और इसी दिशा में आगे बढ़ रही है.

प्रधानमंत्री का कहना था कि किसानों की बेहतरी के लिए कृषि उत्पादों की मूल्य वृद्धि के लिए उन्होंने किसान संपदा योजना की घोषणा की है जो "सच्चे अर्थ में देश की अर्थव्यवस्था को एक नया आयाम देगा."

किसानों की बढ़ रही है मुसीबत

किसानों की बढ़ रही है मुसीबत

इन दिनों किसानों की मुसीबतें कम होने के बजाय बढ़ती जा रही हैं. एक तरफ किसानों को धान का समर्थन मूल्य भी नहीं मिल रहा है, बोनस नहीं मिल रहा है. दूसरी तरफ गेहूँ के लिए खाद और खासतौर से यूरिया की किल्लत से किसान परेशान हैं. मध्य प्रदेश में तो कई जगह यूरिया को पुलिस निगरानी में वितरित किया जा रहा है.

बिना पानी का कल ! कितना विकट है जल संकट?

पानी के बिना जीवन की कल्पना बेमानी है। जल जीवन की मूलभूत जरूरतों में से एक है, जिसका उपयोग पीने, भोजन बनाने, सिंचाई, पशु-पक्षियों के साथ औद्योगिक इकाइयों के लिए बेहद जरूरी है। बहुत ज्यादा वक्त नहीं बीता है, जब मालदीव में जल संकट उत्पन्न हो गया था। जिसमें भारत की तरफ से 12 सौ टन से ज्यादा ताजा जल भेजा गया। जल संकट का यह तो केवल संकेत मात्र है। पूरे विश्व में हालात कितने विकराल होंगे, यह कह पाना बेहद मुश्किल है। 

लघु एवं सीमान्त कृषक तथा ग्रामीण विकास

ग्रामीण विकास से तात्पर्य ग्रामीण क्षेत्र की सामाजिक एवं आर्थिक स्थिति में संरचनात्मक परिवर्तन से लगाया जाता है जो ग्रामीण क्षेत्र में रहने वाले निम्न आय वर्ग के जीवन स्तर में सुधार लाने के लिए किये जाते हैं। इससे एक ओर तो देश के आर्थिक विकास में अवरोध उत्पन्न करने वाले तत्वों जैसे अत्यधिक गरीबी, अत्याचार, अत्यन्त निम्न उत्पादकता एवं ग्रामीण समाज का शोषण और उत्पीड़न से मुक्ति दिलाई जाती है तो दूसरी तरफ उनके विकास की प्रक्रिया को तीव्र करने एवं स्वतः सम्पोषणीय बनाने के लिए उन्हें बुनियादी सेवाएँ प्रदान की जाती हैं तथा आधारभूत ढाँचे को सुधारा जाता है। जैसे सिंचाई हेतु पर्याप्त मात्रा में विद्

Pages