धान, दलहन, कपास आदि की बुआई हो सकती है लेट
जिस प्रकार से लगातार बारिश में कमी आ रही है और जलाशयों में भी पानी की कमी हो रही है, उसके साथ ही यदि समय पर मानसून नही आया अथवा बेहतर बारिश नही हुई तो इस साल आगे फसलों की बुआई में देरी होने की संभावना बन रही है. जानकारों का कहना है कि लगातार पिछले दो साल से मानसून कमजोर हो जाने से स्थिति चिंताजनक बनी हुई है.
दलहन, कपास और धान आदि फसलों की बुआई पश्चिमी और दक्षिणी राज्यों में देरी से हो सकती है. इसके साथ ही देश में पानी की व्यवस्था की देखरेख करने वाली संस्था सैंट्ल वॉटर कमीशन ने इस समय के हालातों को चिंताजनक बताया है. कमीशन कम से कम 91 जलाशयों की स्थिति की निगरानी करता है. इस ओर स्थिति को देखते हुए कमीशन ने चिंतापूर्णं स्थिति को देखते हुए राज्यों को इन जलाशयों को आगे संभलकर इस्तेमाल करने की हिदायद दी जा सकती है. जानकारों का यह भी कहना है कि यदि आगे मानसून बेहतर नही रहता है या कम बारिश हुई तो इन जलाशयों के द्वारा कुछ स्तर पर समय रहते समस्या से निपटा जा सकेगा. देश के मुख्य बांधों में पानी का स्तर उनकी क्षमता से काफी कम है. यह कमी पिछले दस सालों के औसत से भी कम है.
दक्षिणी और पश्चिमी राज्यों में इस प्रकार की स्थिति है. यदि बारिश समय पर नही हुई तो फसलों की बुआई में देरी हो सकती है, अथवा बुआई में कमी भी आने की संभावना बन सकती है. मराठवाडा-विदर्भ क्षेत्र में भी स्थिति अधिक गंभीर मानी जा रही है. इसके अलावा गुजरात, आन्ध्र प्रदेश और तेलगांना आदि में भी पानी का स्तर काफी कम हो रहा है. ऐसे में सिंचाई के लिये पानी की उपलब्धता बड़ी चुनौती के रूप में सामने खड़ी हो सकती है, इसलिये इस ओर गंभीरतापूर्वक विचार करना होगा.