आपदा से पशुधन बचाना सरकार की प्राथमिकता
आम बजट से गांव-गरीब और किसान को मजबूत करने के संकेत दे चुकी केंद्र सरकार इस दिशा में आगे बढ़ रही है। किसानों के लिए खेती के साथ-साथ पशुधन संवर्धन पर केंद्र का सबसे ज्यादा जोर है। कृषि अर्थव्यवस्था में 30 फीसद हिस्सेदारी रखने वाले डेयरी व पशुधन का भी प्राकृतिक आपदाओं में ध्यान रखने की कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह ने सख्त जरूरत बताई।
उन्होंने कहा कि देश में आने वाली बाढ़ में सालाना एक लाख गो पशु बह जाते हैं। इससे कहीं ज्यादा अन्य पशुओं की मौत अन्य प्राकृतिक आपदाओं में होती है। कृषि मंत्री ने गुरुवार को यहां प्राकृतिक आपदाओं के वक्त मवेशियों को राहत देने पर आयोजित कार्यशाला में कहा कि प्राकृतिक आपदाओं में इतने अधिक पशु मारे जाते हैं, जो समूचे आपदा प्रबंधन पर होने वाले खर्च से कहीं अधिक मूल्य के हैं।
आपदाओं के दौरान मवेशियों को नजरअंदाज किया जाता हैं। इस मानसिकता में बदलाव की सख्त जरूरत है। प्राकृतिक आपदाओं की दृष्टि से भारत बेहद संवेदनशील क्षेत्र है। इसका 55 फीसद हिस्सा भूकंप संभावित है, जबकि 40 फीसद क्षेत्रफल बाढ़ से ग्रस्त रहता है। 7500 किमी लंबी समुद्री सीमा का बड़ा हिस्सा सुनामी व चक्रवाती तूफान से प्रभावित होता है।
60 फीसद हिस्सा सूखे से प्रभावित रहता है। पर्वतीय क्षेत्रों में भूस्खलन व हिमस्खलन एक बड़ी समस्या है। इन आपदाओं में ज्यादातर मवेशी मारे जाते हैं। इससे व्यापक आर्थिक क्षति होती है। आपदाओं में पशुओं को भुलाकर उन्हें मरने के लिए छोड़ दिया जाता है। सिंह ने कहा कि राष्ट्रीय ग्र्रामीण अर्थव्यवस्था को देखते हुए एजेंसियों को मानसिकता बदलने की जरूरत है।
सिंह ने कहा कि यह जानकर खुशी हुई कि प्राकृतिक आपदा कार्यबल ने आपदा के समय मवेशियों को बचाने और उन्हें राहत देने के लिए प्रशिक्षण दे रहा है। लेकिन इसके लिए देश के प्रमुख पशु चिकित्सा व अनुसंधान संस्थानों के वैज्ञानिकों से भी समन्वय करें। पशुधन के लिए आम बजट में 1600 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया, जो पिछले वित्त वर्ष के मुकाबले अधिक है
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