अजवाइन की खेती

यह धनिया कुल (आबेलीफेरा) की एक महत्वपूर्ण मसाला फसल है। इसका वानस्पतिक नाम टेकिस्पर्मम एम्मी है तथा अंग्रेजी में यह बिशप्स वीड के नाम से जाना जाता है। इसके बीजों में 2.5-4% तक वाष्पशील तेल पाया जाता है।अजवाइन(celery seed )खजीज तत्वों का अच्छा स्रोत हैं। इसमें 8.9% नमी, 15.4% प्रोटीन, 18.1% वसा, 11.9% रेशा, 38.6% कार्बोहाइड्रेट, 7.1% खनिज पदार्थ, 1.42% कैल्शियम एवं 0.30% फास्फोरस होता हैं। प्रति 100 ग्राम अजवाइन से 14. 6मी.ग्रा. लोहा तथा 379 केलोरिज मिलती हैं।

 

शीतलहर व पाले से फसलों को कैसे करे बचाव

शीतकाल में तापमान हिमांक पर या इससे नीचे चला जाता है ऐसी स्थिति में जलवाष्प बिना द्रव रूप में परिवर्तित हुए सीधे ही सूक्ष्म हिमकणों में परिवर्तित हो जाते हैं जिसे पाला कहा जाता हैआने वाले समय में सर्दी का प्रकोप और बढऩे वाला है। मौसम वैज्ञानिकों ने इस बार लंबे समय तक सर्दी का असर होने के साथ ही इसके अधिक पडऩे की संभावना जताई है। इसका असर दिखने भी लगा है। दिन-प्रतिदिन तापमान में कमी आ रही है। सुबह और रात के तापमान में काफी गिरावट दर्ज की जा रही है। विशेषकर उत्तरभारत में सर्दी का प्रकोप कुछ अधिक ही रहता है। इसका प्रभाव इंसानों के साथ ही फसलों पर भी पड़ता है। अधिक सर्दी से फसलों की उत्पादकता प

घर पर भी बनाया जा सकता है कीटों से फसल की सुरक्षा के लिए स्टिकी ट्रैप

फसलों को विभिन्न कीटों से बचाने के लिए किसान कई प्रकार के हानिकारक कीटनाशकों का उपयोग करते हैं। भारत में अधिकांश कीटनाशकों का उपयोग ग्रामीण क्षेत्रों में किया जाता है। यदि कीटनाशकों का प्रयोग नहीं किया जाता है तो किसान की फसल बर्बाद हो जाती है। कीटनाशकों का प्रयोग करते समय हमें इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि फसलों के साथ-साथ इनका हमारे स्वास्थ्य पर भी बहुत बुरा प्रभाव पड़ रहा है। साथ ही कीटनाशकों के प्रयोग का खर्चा भी बढ़ जाता है। एक ओर जहां हम जैविक खेती को बढ़ावा देने की बात करते हैं, वहीं दूसरी ओर अगर समय रहते कीटनाशकों का प्रयोग कम नहीं किया गया तो आने वाले दिनों में इसके कई दुष्प्रभाव द

गोभी वर्गीय सब्जियों के कीट और उनका प्रबंधन

डाइमण्ड बैक मौथकोल फसलों की सफल खेती में होने वाले पतझड़ के लिए जिम्मेदार एक सर्वदेशीय प्रमुख सुंडी है। युवा सुंडी देखने में क्रीमी - हरे रंग की तथा इसके हरे ऊतकों को खाने बे बाद पत्तों पर सफेद धब्बे दिखाई देने लगते हैं । बाद में जबकि, बड़े होकर सुंडी पत्तियों में छेद बना देती है और परिणामस्वरूप फसल में पतझड़ का कारण बनाता है जिससे विशाल नुकसान होता है ।

प्रबंधन

Pages