कृषि रसायन

कृषि रसायन (Agricultural chemistry) रसायन विज्ञान की वह शाखा है जिसका संबन्ध कृषि से है। इसमें रसायन विज्ञान और जैवरसायन दोनो का अध्ययन किया जाता है।
रासायनिक उर्वरकों का अंधाधुंध प्रयोग मिट्टी को प्रदूषित कर उसके भौतिक, रासायनिक तथा जैविक गुणों पर विपरीत प्रभाव डाल सकता है। उदाहरण के लिए अमोनियम सल्फेट के लगातार प्रयोग से अमोनिया तो फसल द्वारा इस्तेमाल होता रहता है और सल्फेट आयन धीरे-धीरे मिट्टी में बढ़ते जाते हैं जो मिट्टी को अम्लीय बना देते हैं। इसी प्रकार सोडियम नाइट्रेट और पोटेशियम नाइट्रेट के लगातार उपयोग से भी ऐसा ही हो सकता है। नाइट्रेट तत्व फसल द्वारा सोख लिया जाता है और सोडियम तथा पोटैशियम की मात्रा मिट्टी में बढ़ती रहती है। फलस्वरूप मिट्टी की संरचना पर प्रतिकूल असर पड़ता है। यही नहीं, पौधे उर्वरकों के नाइट्रेट तत्वों का कुछ ही भाग उपयोग में ला पाते हैं और इन तत्वों का एक बड़ा हिस्सा मिट्टी में एकत्र होता रहता है जो वर्षा के पानी के साथ रिसकर पृथ्वी के भीतर जाकर भूमिगत जल में नाइट्रेट आयनों की सान्द्रता में वृद्धि करता है। इस जल जल के उपयोग से नवजात शिशुओं में ‘मेट-हीमोग्लोबोनीमिया’ या ‘ब्लू-बेबी डिजीज’ नामक बीमारी की सम्भावना बढ़ जाती है। कुछ शोधों से यह निष्कर्ष भी निकला है कि ये नाइट्रेट आयन कैंसर जैसी बीमारी भी पैदा कर सकते हैं। रासायनिक उर्वरकों के अधिक इस्तेमाल से सिंचाई की भी अधिक आवश्यकता पड़ती है और यह प्रक्रिया मिट्टी को लवणीय बना सकती है। लवणीय भूमि फसल उगाने के लिए अनुपयुक्त हो सकती है।

 

एग्रो-केमिकल्स या कृषि रसायन क्या हैं?

एग्रो-केमिकल्स  या कृषि रसायन ऐसे उत्पादों की श्रेणी है जिसमें सभी कीटनाशक रसायन एवं रासायनिक उर्वरक शामिल होते हैं. यद्यपि ये सभी रसायन किसानों के लिए अत्यंत महंगे हैं फिर भी बेहतर उत्पादन हेतु इनका उपयोग दिनों-दिन बढ़ता जा रहा है. यदि इनका उपयोग सही मात्रा एवं उपयुक्त विधि द्वारा किया जाए तो ये किसानों के लिए बेहतर आय के अवसर प्रदान कर सकते हैं. रासायनिक उर्वरकों एवं कीटनाशकों का उपयोग मिट्टी की प्रकृति और स्थानीय वातावरण पर निर्भर करता है.