गोमूत्र
गोमूत्र (गाय का मूत्र) पंचगव्यों में से एक है। हिन्दू धर्म एवं संस्कृति में इसका बहुत महत्व है। प्राचीन हिन्दू शास्त्रों में इसकी महत्ता का वर्णन मिलता है। वर्तमान विज्ञान में गोमूत्र के दैवीय गुणों को स्वीकार किया है और गोमूत्र के महत्व को समझाया है। कुछ आधुनिक शोधों में इसके अत्यन्त गुणकारी औषधीय गुण बताये जा रहे हैं।
गोमूत्र का उपयोग संपादित करें
गोमूत्र मानव जीवन एवं अस्तित्व के लिए अति महत्वपूर्ण है। इसके निम्नलिखित प्रयोग हो सकते हैं :-
कृषि में गोमूत्र का प्रयोग : वर्तमान मानव जीवन कृषि में रासायनिक खादों के प्रयोग से होने वाले दुष्परिणामों को झेल रहा है। रासायनिक खादों से विभिन्न प्रकार की बीमारियाँ फैल रही हैं। ऐसे में गोमूत्र एवं अन्य अपशिष्ट वैकल्पिक खाद और कीटनाशक के रूप में सामने आ रहे हैं।
गोमूत्र के औषधीय प्रयोग : हजारों वर्ष पहले लिखे गए आयुर्वेद में गोमूत्र को अमृत सदृश माना गया है। वर्तमान वैज्ञानिक युग में भी गोमूत्र को जैविक औषधीय विकल्प के रूप में देखा जा रहा है।
गृह सफाई में गोमूत्र के प्रयोग : हिंदुओं की प्राचीन परंपरा के लिहाज से गोमूत्र एक पवित्र एवं उपयोगी द्रव है। गोमूत्र को अब फिनायल की जगह प्रयोग करने पर भी जोर दिया जा रहा है।कृषि में गोमूत्र का प्रयोग :
वर्तमान मानव जीवन कृषि में रासायनिक खादों के प्रयोग से होने वाले दुष्परिणामों को झेल रहा है। रासायनिक खादों से विभिन्न प्रकार की बीमारियाँ फैल रही हैं। ऐसे में गोमूत्र एवं अन्य अपशिष्ट वैकल्पिक खाद और कीटनाशक के रूप में सामने आ रहे हैं।